फिर छिड़ी रात बात फूलों की,, फूलदेई पर्व पर एस एस पी ने दीं बधाइयां। देव भूमि हरिद्वार।
स.संपादक शिवाकांत पाठक।
( प्राचीनता से लगाव रखने वाले एस एस पी हरिद्वार ने तमाम पुष्पों के पौधों का रोपण करने हेतु किया सराहनीय कार्य )
( रंग बिरंगे फूलों से सजी मां गंगा वाटिका फूल देई लोक पर्व पर बनी आकर्षण का केंद्र तमाम बच्चों ने वाटिका में जाकर आनंद लिया )
( प्रकृति प्रेमी सभी थानों के सहयोग से मां गंगा वाटिका का हुआ था सृजन )
वैसे तो प्रकृति की संरचना में ईश्वर द्वारा कोइ भी कमी नहीं की गई लेकिन जहां पर श्रंगार की बात आती है वहां पर प्रकृति हो या फिर मन्दिर, मस्जिद, शादी, विवाह,, या फिर अंतिम यात्रा सभी जगह फूलों का अपना एक अलग ही अस्तित्व है,, राष्ट्रीय कवि श्री द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी ने फूलों पर एक कविता लिखी थी,, गौर करें,,👇🏽
व्योम के नीचे खुला आवास मेरा, ग्रीम्स वर्षा शीत का अभ्यास मेरा,, झेलता हुं मार मारुति की निरंतर,, खेलता हूं जिंदगी के खेल हंस कर,, शूल का दिन रात मेरा साथ,,,
फिर भी प्रसन्न मन हूं,,
मैं सुमन हूं,,,,,
इस कविता के जरिए उन्होने ने फूलों से मानव समाज को एक नई शिक्षा देने की कोशिश की,, क्यों कि प्रकृति मनुष्य की प्रथम गुरु एवम् पाठशाला होती है,, प्रकृति से सभी जीव तमाम तरह से ज्ञान अर्जित करतें हैं,, जैसे कि सूर्य हमको समय से जागने और सोने की शिक्षा देने का कार्य करता है,,
ईश्वर जगत पिता है तो प्रकृति जगत माता है,, फूल निराभिमान होने की शिक्षा देते हैं,, वे मन्दिर में देवताओं पर चढ़ाए जाने पर जितना प्रसन्न होते हैं उतनी ही प्रसन्नता उन्हे एक अमर शहीद की शव यात्रा में चढ़ाए जाने पर होती है,,
राम और सीता का मिलन पुष्प वाटिका में ही हुआ था,, मतलब राम ब्रम्ह हैं और मां सीता माया जिनके मिलन में पुष्पों की एक विशेष महत्वपूर्ण भूमिका है,,,
शास्त्रों पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु का ह्रदय कहलाने वाली , धरम नगरी हरिद्वार में एस एस पी ऑफिस में स्थिति मां गंगा वाटिका को देख आई पी एस प्रमेंद्र डोवाल जिन्हे हरिद्वार के लोग सिंघम के नाम से जानते हैं,, प्रकृति प्रेमी होने के नाते आकर्षित हुए एवम् तमाम पुष्पों के पौधों का रोपण कार्य उनके निर्देष पर किया गया जिनमें प्रमुख रुप से आइस फ्लावर, गजीनियां, जिरेनियम, बरबीना, बटर फ्लाई, लेडीज पर्स, जरबेरा आदि तमाम किस्म के पौधों का रोपण कार्य किया गया,, साथ ही एस एस पी हरिद्वार द्वारा उत्तराखंड के लोक पर्व जो कि फूलों के पर्व से जाना जाता है फूलदेई छम्मा देई महा पर्व की समस्त देशवासियों ,, हरिद्वार और उत्तराखंड वासियों हार्दिक शुभकामनाएं प्रदान की ,, यह त्योहार चैत्र मास नवरात्र से प्रारंभ होता है,, इस दिन बच्चे थाली में फूल लेकर गांव शहर में फूलों की देहली पूजने जाते हैं,, उत्तराखंड में यह पर्व एक बाल पर्व के लिए जाना जाता है,,
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