प्यारा उत्तराखंड,,,भू माफिया लील गए बंजर धरती और खनन माफिया,,,???

 


स.संपादक शिवाकांत पाठक।

रण विजय कुमार की रिर्पोट,,,त्तराखंड में फैला अवैध खनन का जाल, कैग रिपोर्ट ने उठाए थे कई सवाल; आखिर कौन है जिम्मेदार,,, अपडेट मीडिया से रण विजय,,एवम वी एस इंडिया न्यूज की टीम ने जाकर की पूरी तहकीकात,, 



आज बात करतें हैं अवैध खनन की जिसे कई तरह से खनन माफियायों द्वारा वर्षों से किया जा रहा साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी तमाम सवालों को जन्म देती है,,



उत्तराखंड सरकार ने टेंडर जारी कर भले ही 6 वर्षों के लिए खनन काम निजी कंपनियों को सौंप दिया हो,,लेकिन सम्बन्धित विभाग की आमदनी का जरिया बना परमीशन आज भी जारी है जिसके चलते परमीशन की आड़ में अवैध खनन का कारोबार बादस्तूर फल फूल रहा है,, दबी जुबान से समाज सेवी रिजवान अहमद,, सद्दाम खान, रूस्तम अली ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा जो भी गलत संदेश जनता को दिए जा रहे हैं वे सोचनीय हैं 


डांडी चौक से करीब सौ कदम कि दूरी पर परमीशन की आड़ में धड़ल्ले से खनन जारी है,, परमीशन कहां की और किसके नाम की है खनन कहां किया जा रहा इससे जिम्मेदार अधिकारियों को कोइ भी लेना देना नहीं है,, सभी जानते हैं कि चुनाव आचार संहिता लागू हो चुकी है वहीं  भाजपा की नीतियों के विरूद्ध खनन माफिया अपनी गाडी में भाजपा का झंडा लगा कर जनता के सामने एक गलत संदेश दे रहें हैं,, ओवर लोडिंग डंफर तमाम नियम कानूनों की धज्जियां उड़ाते देखे जा सकते हैं,, लेकिन अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है,,,




 उत्तराखंड में अवैध खनन का जाल ऐसा फैला है कि अब कई सवाल खड़ें होने लगे हैं। मार्च 2023 में आई कैग रिपोर्ट ने सभी का ध्यान उत्तराखंड की ओर आकर्षित किया था। इस रिपोर्ट में कैग ने वर्ष 2017-18 से वर्ष 2020-21 के बीच 37 लाख टन अवैध खनन की बात कहकर सभी को चौंका दिया था।


केंद्र शहर में बड़ी संख्या में अवैध भंडारण केंद्र संचालित होने के चलते यह उप खनिज की आपूर्ति सरकारी निर्माण एजेंसियों को भी कर रहे हैं। इस स्थिति में सरकारी निर्माण एजेंसियां बिना पास के ही उप खनिज के प्रयोग की अनुमति ठेकेदारों को देती हैं। लिहाजा, ऐसे प्रकरणों में रायल्टी भी जमा नहीं कराई जाती है। कैग ने भी इस तरह के प्रकरण पकड़ते हुए बताया था कि सरकारी निर्माण एजेंसियों ने 37.17 लाख मीट्रिक टन सामग्री के उपयोग की अनुमति बिना पास के दी। जिससे 104.08 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।



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