कांव कांव,,,आखिर चाटुकारिता वर्तमान समय पर अभिशाप या वरदान,,???? हास्य व्यंग,,,,

 


स.संपादक शिवाकांत पाठक।


अधीनस्थ कर्मचारी या फिर कुछ पत्रकार,, अपनें कार्य-कृत्यों में सबसे बड़े चापलूस होते हैं। जैसे ही कोई अफसर अपने पद पर तैनात होता है तो बहुत सुना है कि अधीनस्थ कर्मचारी या फिर पत्रकार कहने लगते हैं कि ‘सर’ हमने आपके बारे में बहुत सुना है, आप के कार्य वास्तव में इस समय चर्चा का केंद्र बिंदु साबित हो रहें हैं सभी लोग तारीफ कर रहे हैं,,,आप तो हर व्यक्ति की बात सुनने वाले हैं और बहुत ही निष्पक्षता से काम करते हैं। इस तरह से सुबह और शाम को अच्छे-अच्छे आदर्श वाक्यों के साथ उन्हें सत्कार के साथ बधाई देना खुस करना इत्यादि ऐसे कई मलाईदार तरीके चाटुकारों द्वारा अपनाए जाते हैं। चाटुकारों का उद्देश्य हर समय और हर स्थिति में अपने आराध्य की छोटी से छोटी बात को महिमामंडित करना बढ़ा चढ़ा कर कहना होता है। चाटुकार देश और काल की सीमाओं से परे होते हैं परिस्थित कैसी भी हो ये हमेशा सफ़ल रहते हैं,, साथ ही चाटुकारिता के चलते ये लोग अपनें परिवार,, साथी,, रिश्तेदारों से भी दूरियां बनाने में पीछे नहीं रहते,, क्यो कि कई बार चाटुकारों के करीबी लोगों पर भी जब कानून का हंटर चलता है तब ये लोग यही कहते देखे जाते हैं कि साहब वो वास्तव में मेरा भाई सही लेकिन गलत तो गलत है उसे सही सबक सिखाया है आपने,, ऐसे चाटुकार हर  देश व हर काल में देखे जा सकते हैं। जैसे कि इतिहास गवाह है कि रावण यदि अनीति की बात करता था तो उसके करीबी मंत्री उस अनीति को भी नीति कह कर उसका हौंसला बढ़ाते थे,,, हां यह सच है कि सत्य कहने वाले भी हर युग में रहे हैं,, जैसे कि हनुमान जी में चाटुकारिता देखने को नहीं मिलती वे सच कह देते हैं वह सामने,,, अंत में परिणाम पर नजर डालिए,, रावण असत्य पर निर्भर था तो उसका साथ देने वाले सभी का अन्त हो गया शेष कौन बचा,,? जो सत्य यानि राम के साथ थे,, क्यों कि गीता में कर्म को ही श्रेष्ठ बताया गया है मनुष्य यदि पाप कर्म करता है,, या वह पापियों का साथ देता है तो आप किसी भी बात पर विश्वास नहीं करें सिर्फ़ पाप कर्म करने वाले और उनका साहयोग करने वालो पर गौर करें उन्हे और उनके परिवार को विधि के अनुसार दंड अवश्य मिलता है साथ ही ईश्वरीय दंड और संसार द्वारा निर्धारित दंड विधान में सर्फ यही फर्क है कि यदि आपको किसी भी अपराध की सजा किसी भी देश के द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार दी गई है तो उस सजा से आप धन, वैभव,, ऊची पहुंच आदि से बच सकते हैं लेकिन ईश्वरीय दंड से आपको कोई भी नहीं बचा सकता,,, बाकी जो लोग चाटुकारिता में जीवन की कामयाबी हासिल करना चाहते हैं,, तो चाटुकारिता के फल स्वरूप ये लोग जनता के सामने साहब के करीबी होने के कारण विशेष सम्मान की दृष्टि से देखे जा सकते हैं,, जिसके कई कारण हैं,,,


अगले लेख में विस्तार से वर्णन किया जाएगा,,


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