सोसल मीडिआ की पत्रकारिता पर सवाल,, चुनाव आयोग देहरादून का खंडन,!
स संपादक शिवाकांत पाठक,,
बीते दिनों पंचायती चुनाव को लेकर सोसल मीडिआ पर कुछ ऐसी भ्रामक खबरें डाली गईं कि उनकी भनक और गूँज देहरादून चुनाव आयोग तक पहुंची,, आनन फ़ानन में चुनाव आयोग द्वारा खंडन की प्रतिक्रिया अपनाई गईं,,
लेकिन सोचनीय बात तो यह है कि जब थोड़ा बहुत कूड़ा आस पास हम देखते हैं तो इग्नोर कर देते हैं, लेकिन जब जब वह हमारे मार्ग में बाधक बन जाता है तब हम निराकरण तलाश करते हैं परन्तु तब तक वह भयावह रूप ले चुका होता है,, सोसल मिडिया भारतीय पत्रकारिता के मानको पर खरी नहीं उतरती प्रतीत होती है, क्यों कि इस माध्यम से अपराध जगत में इजाफा हुआ है,, ठगी कि तमाम बढ़ती आपराधिक वारदातें सोसल मिडिया की ही देन है इसे नकारा नहीं जा सकता,, पत्रकारिता व्यवसाय नहीं वरन समाज एवम राष्ट्र के प्रति समर्पित भावना का एक उदाहरण है,, जब की सोसल मीडिआ द्वारा सूचना एवम प्रसारण मंत्रालय के नियमों की अनदेखी कर तमाम आपराधिक लोग खुद को पत्रकार बता कर आम जन मानस के लिये परेशानी का सबब बन चुके हैं,, आर एन आई रजिस्ट्रेशन आदि इनपर लागू ना होना चिंता का विषय है,, जिला प्रशासन को इस बात को गंभीरता पूर्वक लेते हुए जिला सूचना अधिकारी से नियमित प्रकाशित एवम अंकन वाले दैनिक, दैनिक सांध्य, मासिक, पाक्षिक, अखबारों की सूची प्राप्त कर पत्रकारों की सूची तलब करना चाहिए,, वरना तमाम तरह की खबरों का खंडन प्रशासन की मजबूरी बन जाएगी,,
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