एक नजर यहाँ भी डालिये सी एम साहब,,,टिहरी पुनर्वास घोटाला हुआ उजागर,, एक ही भूमि दो बार बिक गई,,!देहरादून,!
( इस मामले की विस्तृत जाँच में भी खुलासा होगा करोडो के घोटाले का,,)
संदीप पाठक की रिपोर्ट,
टिहरी पुनर्वास पट्टा आवंटन प्रतिक्रिया का लाभ सिर्फ प्रॉपर्टी डीलरों को ही क्यों मिला,, लाभार्थी को तो सिर्फ चंद पैसे ही हाँथ लगे,, यह मामला सिर्फ देहरादून ही नहीं वल्कि, ऋषिकेश, हरिद्वार, हरिद्वार वार्ड नंबर 13 नवोदय नगर,सुमन नगर, आदि इत्यादि के डीलर इस पट्टा आवंटन में महंगी गाड़ियों में घूमने लगे,, वर्ष 2003 में पट्टा आवंटन के बाद पुनर्वास और डीलरों की सांठ गांठ से जो खेल खेला गया उस खेल में बड़ी बड़ी दिग्गज हस्तियों के शामिल होने की भी चर्चा है,, देहरादून में एक पट्टे को दो बार बेचने पर पट्टा jo खुलासा हुआ है और डी एम ने पुनर्वास अधिकारियो को आड़े हांथो लिया है,, सच तो यह है कि यह मामला हर टिहरी विस्थापित वार्डो, नगरो, शहरों मे है क्यों कि खसरे नंबर को छुपा कर डीलरों द्वारा एक ही कृषि भूमि पट्टा को दो बार बेचा गया है, यहाँ तक कि जहाँ ऐसा किया गया है, आज तक वहां पर दाखिल ख़ारिज नहीं हो रहे,, यह मामला फिलहाल हरिद्वार वार्ड नंबर 13 नवोदय नगर, एवम सुमन नगर का है,, गोपनीय सूत्रो के आधार पर पट्टा का आवंटन किसके नाम होना है यह बात डीलर तय करते हैँ,,साथ ही टिहरी पुनर्वास हेतु अधिग्रहण की गई भूमि से सम्बंधित खसरे नंबरों से डीलरों को कोई भी लेना देना नहीं होता,,
जाँच का विषय,,👇🏿
पट्टा धारक लाभार्थी यदि हरिजन है तो क्या बिना जिलाधिकारी की परमिसन के डीलरों द्वारा कलौनी काटी गई है,, साथ पट्टों की आड़ में बिना पैमाइस कलौनी काटना विधि सम्मत नहीं है,,
डीलरों की मिली भगत से पट्टा आवंटन में पात्रता का ध्यान नहीं रखा गया,,
तमाम पट्टा धारिको को मालूम भी नहीं हुआ और उनके पट्टे बिक गये,, इसके अलावा और भी बहुत खामियाँ जाँच के बाद उभर कर सामने आएगी,,
,टिहरी बांध प्रभावितों के पुनर्वास,में हुए भूमि फर्जीवाड़े ने प्रशासन को झकझोर कर रख
दिया है। एक ही व्यक्ति द्वारा एक ही भूमि को दो बार
बेचने की गंभीर गड़बड़ी पर जिलाधिकारी ने कठोर रुख
अपनाते हुए परियोजना से जुड़े अधिकारियों की
कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल, पुलमा
देवी नामक विस्थापित महिला को दी गई भूमि से जुड़ा यह
मामला जून माह के द्वितीय जनता दर्शन में सामने आया
था। जांच में सामने आया कि जिस व्यक्ति ने वर्ष 2007
में अपनी भूमि विक्रय कर दी थी, उसी के नाम पर 2019
में बिना किसी सत्यापन के पुनः भूमिधरी दर्ज की गई और
भूमि का विक्रय कराया गया। जिलाधिकारी ने इसे
"व्यथित और विस्थापितों की पीड़ा पर खेला गया
शर्मनाक खेल" करार देते हुए कहा कि जब तक पीड़िता
को न्याय नहीं मिलेगा, प्रशासन इस प्रकरण को अधूरा
नहीं छोड़ेगा। डीएम की प्राथमिक जांच में तथ्य उजागर
होने के बाद उन्होंने एसडीएम अपूर्वा को अग्रेतर
आपराधिक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। इतना ही नहीं,
अवस्थापना पुनर्वास खंड, ऋषिकेश के अधीक्षण
अभियंता का वाहन जब्त कर उनसे समस्त विवरण सहित
व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के निर्देश जारी किए गए
हैं। साथ ही मामले को एसआईटी जांच के लिए संस्तुति
की चेतावनी भी दी गई है। यह मामला न केवल पुनर्वास
प्रणाली की गंभीर खामियों को दर्शाता है, बल्कि प्रशासन
की सतर्कता और जवाबदेही की मिसाल भी पेश करता है।
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