एक बेगुनाह ने जेल में काटे 20 साल शर्म आनी चाहिए ! शिवाकांत पाठक उत्तराखंड हरिद्वार!
आप सभी कायर है बुझदिल हैं क्या यह कहना सही होगा मै आपसे ही पूछना चाहता हूं क्यों कि जब सवाल हमारे देश से शुरू हो तो जवाब भी आप ही होंगे आजादी के बाद हम सब आजाद होने का केवल ख्वाब देखते रहे जबकि सच तो कुछ और ही था कानून और व्यवस्था सब कुछ फिरंगियों के बनाए सिस्टम के तहत चलते रहे तुम चुप रहे सहमे रहे कायरों की तरह , सोचो जिस व्यक्ति को बलात्कार के आरोप में जेल भेज दिया गया साथ ही आई ओ मतलब इंक्वारी ऑफिसर ने एक दम ईमानदारी के साथ चार्ट सीट भी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर दी और सच में वह 20 साल बाद बेगुनाह करार दिया जाए तो फिर लानत है तुम्हारी इंसानियत पर तुमको यह घटना झूठ लगती होगी जब की एक दम सच है तुम सब यही सोचते रहे कि होगा किसी पर हमको क्या लेना देना इसी प्रकार सभी लोग बारी बारी से नाइंसाफी का शिकार होते रहे , क्या इकवारी आफिसर पर कार्यवाही नहीं होना चाहिए उस रिपोर्ट कर्ता पर कार्यवाही नहीं होना चाहिए जिसकी वजह से विष्णु तिवारी के 20 साल जेल में गुजर गए , ऐसा नहीं है कि कानून ना बदले हों ? बदले हैं लेकिन राजनैतिक दृष्टि कोण से उनके माफिक ही कानून बदले गए हैं , सोचो जिस व्यक्ति को निर्दोष होने पर भी जेल में 20 साल रहना पड़ा हो जिसका अपना परिवार मां, बाप , भाई सभी मौत के आगोश में समा चुके हों उसे 20 साल बाद कहा जाए कि तुम निर्दोष हो जीवन क्या मकसद रह जाएगा उसके सामने जिसके घर पर उसके अपनों की लाश रखी हो लेकिन पैरोल पर भी उसे जाने की इजाजत नहीं दी जाए केवल सोचो सोचना ही तुम्हारा जन्म सिद्ध अधिकार है इससे ज्यादा तुम कुछ नहीं कर सकते तुम्हारे द्वारा चुना गया नेता लाखो रुपए सैलरी पाता है गाड़ियों से घूमता है कमीसन खोरी भ्रष्टाचारी करता है तुम सड़क पर फल या कपड़े बेचते थे बेचते हो बेचते रहोगे क्यों तुम्हारे अंदर का इंसान मर चुका है , लेकिन याद रखना तुम्हारी आने वाली पीढ़ी तुम सब को गालियां देगी क्यों कि तुम जुल्म को बढ़ावा दे रहे हो !
हाई कोर्ट इलाहाबाद ने बीस साल की सजा काट चुके रेप के आरोपी विष्णु तिवारी को निर्दोष करार देते हुए रिहा करने का आदेश दिया एक तल्ख टिप्पणी में अदालत ने कहा कि बेहद दुखद व दुर्भाग्य पूर्ण है कि की निरपराध होने के बावजूद आरोपी 20 साल से जेल में है
आरोपी को तत्काल रिहा करने के आदेश
इतना ही नही विष्णु द्वारा जेल से दाखिल अपील भी 16 साल डिटेक्टिव रही. सुनवाई तब हो सकी, जब विधिक सेवा समिति के वकील ने 20 साल जेल मे कैद रहने के आधार पर सुनवाई की अर्जी दी. हालाकि कोर्ट ने दुराचार का आरोप साबित न होने पर आरोपी को तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है!सुनाई गई थी आजीवन कारावास की सजा
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जस्टिस डॉ. जे के ठाकर और जस्टिस गौतम चौधरी की डिवीजन बेंच ने ललितपुर के विष्णु की जेल अधीक्षक के जरिए दाखिल अपील को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिया है. बता दें की 16 साल के विष्णु पर 16 सितंबर 2000 को घर से खेत जा रही अनुसूचित जाति की महिला को झाड़ी मे खींचकर रेप करने का आरोप लगा. ललितपुर के मेहरोनी थाने में उसके खिलाफ दर्ज की गई. जिसके बाद उसकी गिरफ्तारी साल 2000 में ही हुई और जेल भेज दिया गया. तत्कलीन सीओ अखिलेश नारायण सिंह ने विवेचना की और चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की. सत्र न्यायालय ने साल 2003 में रेप के आरोप मे 10 साल और एससी एसटी एक्ट मे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी!
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