स्वच्छता अभियान का वास्तविक स्वरूप , हास्य! इटावा, राहुल चतुर्वेदी !
स.संपादक शिवाकांत पाठक
आप गौर से देखें विश्व के नक्शे में भारत किस तरह है लेकिन चस्में में विपरीत दिख रहा है बस कुछ इसी तरह से हम और हमारा स्वच्छता अभियान जोरों पर है! दूसरी बात जिस समय महात्मा गांधी जी थे क्या वास्तव में उस समय देश में बहुत गंदगी थी या अब है ? राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी जिस गंदगी की बात कर रहे थे वह गंदगी सम्पूर्ण देश में समा चुकी है कमीसन खोरी भ्रष्टाचारी जिसे सुविधा शुल्क घूस खोरी के के नाम से आप जानते होंगे तो क्या अब हम झाड़ू हांथ में लेकर फोटो खिचवाने से स्वछता अभियान को सफल बनाने में कामयाब हो जाएंगे ? सच लिखने व बोलने के लिए तमाम लोगों को तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है वहीं दूसरी ओर आज का हिंदुस्तान थूकिस्तान बनता नजर आ रहा है पॉलीथिन बंद तो है लेकिन दिख हर जगह रही है क्यों कि बड़ी बड़ी कंपनिया जो पॉलीथिन बना रहीं हैं वे मोटा टैक्स भी भर रहीं हैं तो इसमें बुराई क्या है फायदे के लिए कुछ भी करना पड़े भाई यही तो राजनीत है शराब फेफड़े गलाती है देश की युवा पीढ़ी को बरबाद करती है लेकिन सरकार को तो फायदा है ना यदि सरकार में बैठे नेता पांच साल में पांच पीढ़ियों के लिए नहीं कमा पाए तो लानत है नेता गिरी को भाड़ में जाए ऐसी समाज सेवा !
आज सुबह सुबह घर से बहार दूध लेने निकल गया। किसी ज़माने में हमारे यहाँ दूध की नदियां बहा करती थी, पर आज हम आर्थिक रूप से विकसित हो गए है इसलिए आधा किलो दूध की थैली लेकर आते है , बस जैसे ही घर के बहार निकला कुछ लोगो की भीड़ दिखाई पड़ी , मन नही माना हम भी हो लिए भीड़ में शामिल और चला पड़ा सिलसिला बातो का ,मुद्दा था देश के विकास का ,स्वछता का ,अनुसाशन का। बात शुरू होते ही शर्मा जी ने पान का समुन्दर अपने गगनचुंजभी मुँह से धरातल पर बिखेर दिया और बड़े ज्ञान की बात बोली की प्रधान मंत्री जी क्या खुद सफाई करें हर जगह तब होगा देश स्वच्छ ,स्वछता अपने आप से शुरू होती है और ऐसा बोलते ही लोगो की वाहवाही से उनके चेहरे की लालिमा और बड़ गई।
हा में हा मिलाते हुए साथ वाले पंडित जी ने एक और पिचकारी मारी और कहा स्वच्छ स्थान पर ईश्वर का निवास होता है और बस फिर क्या था कुछ ही समय में हमारी काली सड़क मुँहनुमा समुन्द्र से निकली लेहरो से रख्तरंजित होकर एकदम स्वच्छ नजर आने लगी।
घर जाना हमारी मजबूरी थी वरना हम भी आज ज्ञान के समुन्दर में गोते लगाने को तैयार ही बैठे थे। बस अब तो यही लग रहा था की हमारे देश में हर हिंदुस्तानी ज्ञानी, अनुशासित और स्वच्छ है ,बस कमी है हमारे प्रधानमंत्री में जिलाधिकारी में, पडोसी में, पुलिस वालो में पर हम में नही। आजकल मूर्खता, भेड़चाल, सरकारी लापरवाही और फैशन के कारण प्लास्टिक पैकिंग बढ़ती ही जा रही है। यह प्लास्टिक की पैकेजिंग व्यवस्था देखने में आरामदायक और आकर्षक तो है लेकिन मानवीय स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए बेहद हानिकारक है।
पान के गुटके के पाउच से लेकर बड़ी से बड़ी हर चीज प्लास्टिक के रैपर में ही मिलने लगी है। दूध और आटे से लेकर दवाइयों तक सब प्लास्टिक में मिल रहा है। इसकी वजह से गंदगी तथा महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। क्योंकि प्लास्टिक कचरे में पड़ा-पड़ा 300 साल तक गलता नहीं है और जहरीली बदबूदार गैसे भी गलने और जलने के साथ-साथ विसर्जित करता है अतः यह सबसे बड़ी और खतरनाक समस्या है।
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