ये लोकतंत्र नहीं बल्कि तीन पैर का घोड़ा है साहब
! स. संपादक शिवाकांत पाठक !
आपने चार पैरों के घोड़े को तो देखा होगा लेकिन आज जरूरत है तीन पैर के घोड़े को देखने की जो कि पूरी मौज के साथ चारा खा रहा है इसे ये ना समझ लेना कि ये कमीसन खा रहा है क्यों कि ये हिंदुस्तान है यहां लिखा कुछ भी जाए परन्तु लोग सोचते कुछ और ही हैं वैसे यदि गौर से देखें तो लोकतंत्र की स्पष्ट और सुंदर छवि का दर्शन होगा क्योंकि मकान हो या किसी भी चीज को मजबूती प्रदान करने के लिए चार खंभो की आवश्यकता होती है ये बात केवल लिखा पढ़ी तक सीमित नहीं है बल्कि आप प्रैक्टिकली देख सकते हैं इसी तरह लिखा पढ़ी में ही सही हमारे लोकतंत्र के भी चार खंभे हैं लेकिन दिखते तीन ही हैं चौथा स्तंभ देखभाल ना होने के कारण धीमे धीमे विलुप्त होने की कगार पर है प्रकृति का नियम है कि शरीर के जिस अंग का उपयोग या देखभाल समाप्त कर दी जाए वह समाप्त होने लगता है बस यही तो बात है! हमारा लोकतंत्र भी चार स्तंभों पर आधारित है परन्तु मुख्य रूप से विधायका, कार्यपालिका, न्यायपालिका को ही स्तंभ माना गया है इनको पावर, सैलरी, सुविधाओं से लैस किया गया है लेकिन चौथे स्तंभ पत्रकारिता को झुनझुना दे दिया गया फर्जी मुकदमे, व माफियाओं द्वारा मारपीट इनके हिस्से में आई लेकिन परिणाम में पता है क्या हो रहा है वर्ष 2019 में बुलंद शहर के डी एम अभय जी के यहां सी बी आई ने छापा मारा तो इतनी लंबी रकम मिली कि गिनने के लिए मशीनें मगवाई गई यह मजाक नहीं वल्कि सच है और हम पत्रकारों का हाल तो सारी दुनियां जानती है !
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