एकाग्रता के दृढ़ संकल्प से, होंगे विचित्र अनुभव !मनोज श्रीवास्तव नोडल अधिकारी कुंभ मेला!
एकाग्रता के दृढ़ संकल्प से, होंगे विचित्र अनुभव !मनोज श्रीवास्तव नोडल अधिकारी कुंभ मेला!
स. संपादक शिवाकांत पाठक!!
संकल्प और बातें दोनों तरफ से मिलती हैं, इसी प्रकार एकाग्रता की शक्ति से हम विचित्र लीला को कैच कर लेते हैं। जैसे तारों में हलचल हो जाए, टेलीफोन के खम्बों में हलचल हो जाए तो मैसेज कैच नहीं कर सकते। क्योंकि वहां वातावरण और वायुमंडल का प्रभाव होता है। उसी प्रकार हमारी मन के चंचल होने पर हम दिव्य मैसेज को कैच नहीं कर पाते। इसके लिए एकाग्रता का दृढ़ संकल्प करना होगा, तभी विचित्र अनुभव कर सकते है।
यह दिव्य विचित्र अनुभव सागर के तले में जाकर अनुभव के हीरे और मोती लेने के समान हैं और ज्ञान सागर की लहरों में लहराने के अनुभव के समान है। इस अनुभव के लिए सागर के तले में जाना होगा, क्योंकि अमूल्य खजाने तले में ही मिलते हैं। ऐसा करने से हम सभी बातों से आटोमैटिक्ली किनारा हो जाएंगे। इसको ही स्व चिंतन, स्व दर्शन कहा जाता है।
एकाग्रता की शक्ति बहुत विचित्र रंग दिखा सकती है। लोग अपनी सिद्धियां भी एकाग्रता की शक्ति से प्राप्त करते हैं। स्वयं की औषधी भी एकाग्रता शक्ति से प्राप्त कर सकते हैं। इसके प्रभाव से अनेक रोगियों को निरोगी बना सकते हैं। किसी चलती हुई चीज को रोक दिया जाए यह भी एकाग्रता की सिद्धि से संभव है। अथार्त स्टाॅप कहो तो स्टाॅप हो जाए। जितना भी समय मिले दो मिनट, पांच मिनट अंर्तमुखता की गुफा में चले जाएं। इससे एकाग्रता शक्ति में वृद्धि होती है। थोड़ी-थोड़ी करते शक्तियां जमा होती जाएंगी, इसके बाद हम सर्वशक्तिमान बन जाएंगे।
अंर्तमुखता द्वारा सूक्ष्म शक्ति का विकास होता है। साइलेंस की शक्ति से वाणी की शक्ति और कर्म की शक्ति का प्रत्यक्ष परिणाम दिखाई देता है। जैसे वाणी की शक्ति द्वारा व्यक्ति परिवर्तित हो जाता है। वैसे ही साइलेंस की शक्ति द्वारा किसी व्यक्ति का मन दृष्टि और वृत्ति बदलने का असर पड़ता है। इसको कहा जाता है योग बल। जिस प्रकार साइंस के साधन का यंत्र तभी कार्य करेगा जब इसका कनेक्शन मेन स्टेशन से जुड़ा होगा। इसी प्रकार साइलेंस की शक्ति का अनुभव तभी होगा जब ईश्वरीय शक्ति से निरंतर क्लियर कनेक्शन बना रहेगा। वहां कनेक्शन होता है, लेकिन यहां कनेक्शन और रिलेशन दोनों होता है। सभी चीजें क्लियर हों, तब मन की शक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण देखेंगे।
जब अधूरी आत्मशक्ति वाले सेमी-प्योर अर्द्ध-पवित्र लोग अल्पकाल के साधनों द्वारा दूर बैठे हुए व्यक्तियों को चमत्कार दिखाकर अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं तो हम सभी सर्वश्रेष्ठ शक्ति स्वरूप हैं। इसके लिए विशेष एकाग्रता चाहिए। संकल्पों की भी एकाग्रता स्थिति की भी एकाग्रता हमारी स्थिति को बदल देती है। एकाग्रता का आधार है अंर्तमुखता, अंर्तमुखता में रहने से हम अंदर ही अंदर बहुत कुछ विचित्र अनुभव करेंगे। जैसे दिव्य दृष्टि, सूक्ष्म दृष्टि और सूक्ष्म लोक की अनेक विचित्र लीलाएं देखेंगे।
साइलेंस की शक्ति से हम अप्राप्त आत्मा को, अशांत, दुखी, रोगी और दूर बैठी हुई आत्मा को शांति, शक्ति और निरोगीपन का वरदान दे सकते हैं।
इसके लिए आत्मिक सेवा फास्ट स्पीड से करनी होगी। जिसके प्रभाव से वाचा और कर्मणा में जो तेरी-मेरी की टकराव होती है, न मान और शान का टकराव होता है एवं अन्य प्रकार के विध्न पड़ते हैं, वह सभी विध्न समाप्त हो जाते हैं। इसके लिए आत्मिक शक्ति का अनुभव करना होगा, वाणी द्वारा वाणी से परे जाने का अनुभव करना होगा। अपने लिए विशेष प्रोग्राम बनाना होगा। लक्ष्य रखना है कि हमें अनुभव कराना है न केवल भाषण देना है। हर चीज नवीनता में देखनी है। स्थान और स्थिति दोनों से दूर ही आत्मिक आकर्षण में बने रहें, वह करना है तो भले करें, लेकिन यह जरूर करें।
जिस प्रकार से हम स्थूल भोजन का व्रत रखते हैं, उसी प्रकार हमें व्यर्थ संकल्प, व्यर्थ बोल और व्यर्थ कर्म की हलचल से परे एकाग्रता में रहने का व्रत लेना होगा। इसके लिए आलौकिक प्लान बनाना होगा, जिस प्रकार अगरबत्ती की खुशबू दूर से ही आकर्षित करती है, उसी प्रकार हमारी आत्मा की खुशबू फैलेगी। हम अपने अनुभवों द्वारा विशेष आत्माओं को आवाज फैलाने के निमित्त बन जाएंगे।
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