फटी जींस के समर्थक नहीं जानते भारतीय संस्कृति
! स. संपादक शिवाकांत पाठक!
इस समय हमारे माननीय मुख्य मंत्री श्री तीरथ सिंह रावत द्वारा अमर्यादित पहनावे को लेकर की गई टिप्पणी पर तरह तरह की राजनीति करना बेहद शर्मनाक विषय है प्रदेश के मुखिया की लिए तो प्रदेश के सभी नागरिक उसके पुत्र के समान ही होते है और यदि एक पिता बच्चों के अमर्यादित व्यवहार या पहनावे पर नाराजगी जाहिर करता है तो हम सभी का फर्ज विरोध नहीं होना चाहिए बल्कि हमको उनके द्वारा कही बात का मनन, चिंतन करना चाहिए आप सोचिए कि वर्तमान से यदि हम अतीत की ओर जाएं तो पहले बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, फूल सी नन्ही बेटियों के साथ बलात्कार की घटनाएं या तो कम थी या नहीं थी फिर यह भी याद रखना चाहिए कि हम अमेरिका में नहीं हिंदुस्तान की बात कर रहे हैं जहां कि संस्कृति, पहनावा, रीति रिवाज विदेशी लोग अपना रहे हैं इंग्लैंड की महिलाओं को हमने साड़ी पहने देखा है
आप सोच रहे होंगे कि लिखने वाला किसी का पक्ष ले रहा है? नहीं यहां पर बात पक्ष या विपक्ष की नहीं है आपकी बेटी यदि बेहद शर्मनाक पहनावा पहने तो आप को कैसा लगेगा मनोचिकित्सक के डाक्टर ने कहा कि गलत पहनावा पुरुषों को उत्तेजित करने में मदद करता है अंग प्रदर्शन की जरूरत ही क्या है हम शर्म हया के साथ भारतीय संस्कृति को मान लें तो बुराई क्या है वैसे यह मेरी अपनी सोच है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है यदि हमने सामाजिकता को छोड़ दिया तो फिर जानवर कहां कपड़े पहनते हैं हममें और आदि मानव सभ्यता में अंतर ही क्या रह जाएगा मै पूछता हूं उन लोगों से जो मुख्यमंत्री जी के कथन पर नाराजगी जाहिर कर रहे हैं कि से भारतीय नारी के किस पहनावे से संतुष्ट हैं जिस्म को ढकना क्या मानव सभ्यता के खिलाफ है कम से कम विरोध कर्ताओं को अपनी मानसिक स्थिति को समझना चाहिए मैं गर्व महसूस करता हूं प्रदेश के मुखिया पर जिन्होंने हमारे देश की युवा पीढ़ी को एक सही रास्ता दिखलाया व भारतीय संस्कृति को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ! भारतीय साड़ी की गरिमा
भारतीय साड़ी की गरिमा का जितना बखान किया जाए, उतना ही कम है। साड़ी भारतीय नारी का वस्त्र ही नहीं, उसकी अस्मिता की भी पहचान है। इसमें भारतीय महिलाओं का जो सौम्य व शालीन व्यक्तित्व झलकता है, वह सभी के मन को लुभाता है। प्राय: यह देखा गया है कि साड़ी पहनने वाली महिलाओं के साथ छेड़छाड़ व फिकरेबाजी की घटनाएं प्राय: कम ही हुआ करती हैं, जबकि एकदम टाइट व अंगदिखाऊ कपड़ों में मनचले हरकतें करने से बाज नहीं आते हैं। ऐसे कपड़ों से मनचलों व गुंडों की काम-वासना जाग जाती है। परिणाम होता है नारी-अस्मिता पर 'हमला' जिसे 'बलात्कार' शब्द के नाम से हम सभी परिचित हैं। देश में गैंग रेप की अनेक घटनाओं का कारण यही बताया जाता है।
कुछ पुलिस अधिकारियों व राजनेताओं ने पिछले दिनों यह बयान दिया था कि स्त्रियों के भड़कीले कपड़ों के कारण आजकल बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं। इस बयान के बाद खूब बावेला मचा था जिसके कारण उन्हें अपना बयान ही वापस नहीं लेना पड़ा, बल्कि माफी भी मांगनी पड़ी थी। स्त्री-समर्थक महिला आयोग ने भी बयान पर जमकर आपत्ति ली थी।
Comments
Post a Comment