प्रलय का संकेत अब दिखने लगा है,,,
नग्नता अब बन रही पहचान तेरी,,
कौड़ियों में सत्य अब बिकने लगा है,,,
प्रलय का संकेत अब दिखने लगा है,,,
प्रलय का संकेत अब दिखने लगा है,,,,
श्रृष्टि से खिलवाड़ क्यों तूने किया है,,,,
अपनें मतलब के लिए जीवन जिया है,,
पर्वतों को तोड़ना फितरत है तेरी ,,
जोड़ने का काम ईश्वर ने किया है,,,
धूर्त मानव सोच तूने क्या किया है,,,
प्रलय का संकेत अब दिखने लगा है,,,
सूर्य अपना तांडव दिखला रहा है,
इस जमीं का हलक सूखा जा रहा है,,
जिस भयंकर आग में तू जल रहा है,,,
समय खुद करवट बदलता जा रहा,,,
कौन है वो जिसको ना तूने ठगा है,,,,???
प्रलय का संकेत अब दिखने लगा है,,,,
स्वरचित मौलिक रचना
स.संपादक शिवाकांत पाठक
वी एस इंडिया न्यूज चैनल दैनिक विचार सूचक समाचार पत्र सूचना एवम प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त परिवार हरिद्वार उत्तराखंड
संपर्क सूत्र,,📲,9897145867
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