( आज का इंसान )
पता सबको है कि हर आदमी में क्या कमी है,,,,,
हर एक इंसान की मुश्किल तो केवल आदमी है,,,
सजा देने यहां पर आदमी को कब खुदा आया,,,
हर इक गुस्ताखियों की सजा भी तो लाजमी है,,,
पता सबको है कि हर आदमी में क्या कमी है,,,
किसी का कत्ल होते देख क्यों हैरत में पड़ते हो,,
कतल जिसने किया है वो भी तो इक आदमी है,,,
पता सबको है कि हर आदमी में क्या कमी है,,,
गुनहगारों को वो मालिक हमेशा माफ करता है,,,
गुनाहों की तभी तो इस जहां में क्या कमी है,,,
पता सबको है कि हर आदमी में क्या कमी है,,,
छुपा कर हम गुनाहों को जहां से अलविदा होंगे,,
गवाही के लिए तो आसमां है और जमीं है,,,,
पता सबको है कि हर आदमी में क्या कमी है,,,
हर एक इंसान की मुश्किल तो केवल आदमी है,,,
रचनाकार
स्वरचित मौलिक रचना
स.संपादक शिवाकांत पाठक
वी एस इंडिया न्यूज चैनल दैनिक विचार सूचक समाचार पत्र परिवार हरिद्वार उत्तराखंड
📲9897145867
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