चिंतन छोड़ो बस वार करो,,,
चिंतन छोड़ो बस वार करो,,
इस कर्म भूमि में कर्म श्रेष्ठ है तुम हिम्मत ना हारो,,,
युद्ध भूमि में यही धर्म है तुम दुश्मन को मारो,,
नहीं शस्त्र था पास तभी अभिमन्यु को था मारा,,
नारी का अपमान किया था विष्व जानता सारा,,,
हे अर्जुन मत समय गवाओं तत्क्षण अभी प्रहार करो,,,
चिंतन छोड़ो बस वार करो,,,
अन्याई अत्याचारी पर जब संकट आते हैं,,
तब वे सबको सदा न्याय की बातें बतलाते हैं ,,
रथ का पहिया फंसा हुआ है उसकी लाचारी है,,
यही समय है धनुष उठाओ अब तेरी बारी है,,,
स्वयं आदेश कर रहे जिसको तुम स्वीकार करो,,,
चिंतन छोड़ो बस वार करो,,,
स्वरचित मौलिक रचना
स. सम्पादक शिवाकांत पाठक
वी एस इंडिया न्यूज चैनल परिवार हरिद्वार उत्तराखंड
संपर्क सूत्र 📲9897145867
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