वैध खनन राजस्व के साथ साथ जल आपदा ग्रसित स्थानों हेतु वरदान । उत्तराखंड हरिद्वार।
स.संपादक शिवाकांत पाठक।
आबकारी विभाग, परिवहन विभाग, रजिस्ट्री में स्टांप शुल्क, के साथ साथ राजस्व बढ़ोत्तरी में वैध खनन भी महत्व पूर्ण भूमिका निभाता है,, बात करतें है नवोदय नगर टिहरी विस्थापित हरिद्वार की जहां बीते साल अतिवृष्टि के कारण नदी महाभयानक जल सैलाब उमड़ा और तमाम मकान धराशाई होने की कगार पर पहुंच गए थे,, मानवीयता की दृष्टि कोण से तत्कालीन एस डी एम हरिद्वार द्वारा जे सी बी द्वारा पानी का रुख मोड़ने का अकथ प्रयास किया परंतु प्रकृति के आगे किसी का जोर नहीं चलता,, मकानों के धराशाई होने की आशंका के चलते कई परिवार रात्रि में ही मकान को खाली करने हेतु विवश और लाचार दिख रहे थे,,
उनकी ह्रदय विदारक पीड़ा को महसूस करतें हुए कुछ मानवता के पुजारियों ने श्रम दान देकर बोरियों में रेत भरकर मकानों की सुरक्षा की,, उपरोक्त जनकल्याण की भावना का ईश्वर ने साथ दिया और प्रकृति का कोप कम हुआ साथ ही वर्षा रुकते ही जिला प्रशासन हरिद्वार ने इस भयावह स्थिति के समाधान हेतु नवोदय नगर स्थिति रॉ नदी में खनन का टेंडर जारी किया और सुचारू रूप से वैधानिक खनन की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप अगले साल जल आपदा से मकान क्षति ग्रस्त नही हुए,, नवोदय नगर के संभ्रांत लोगों ने इस श्रेष्ठ कार्य के लिए जिला प्रशासन हरिद्वार को बधाइयां दीं,, साथ ही इस वर्ष 2024 में भी अति वृष्टि से नवोदय नगर के मकानों को क्षति ग्रस्त होने से बचाने हेतु खनन के लिए निवेदन किया,, जिला प्रशासन ने समस्या को गंभीरता पूर्वक लेते हुए समाधान हेतु विचार विमर्श के उपरांत खनन हेतु टेंडर जारी कर आवश्यक धन राशि जमा कराने के उपरांत खनन की स्वीकृति प्रदान की ,,
खनन हेतु राजस्व को जमा की गई धन राशि
खनन सही दिशा में प्रारंभ हुआ ताकि पानी के बहाव को दूसरी ओर किया जा सके,, तभी करीब आठ या दस दिनों बाद अचानक खनन बंद कर दिया गया,, जिसकी सूचना क्षति ग्रस्त मकान स्वामियों को लगते ही करीब तीस लोग आज दिनाँक 23 /06/2024 को सुबह करीब अपरान्ह 11.30 बजे जिलाधिकारी हरिद्वार के कैंप कार्यालय में पहुंच गए ,, साथ ही एस एस पी हरिद्वार कैंप कार्यालय पर भी गए,, क्यो कि उनके दिलों दिमाग में बार बार वह महा भयानक मंजर सामने आ रहा था जब उनके मकानो की नीव पानी के बहाव में ढह चुकी थी खून पसीने से कमाए गए धन एवम बैंक के कर्जे से बनाए गए मकानों को जब कोई मकान स्वामी ढहते देखता है तो उनकी उस पीड़ा को महसूस करना हर व्यक्ति की सोच से परे होता है,, सभी पीड़ितों ने उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री जी से भी समाचार के माध्यम से गुहार लगाई,,फिलहाल संतोष जनक जवाब मिलने पर सभी पीड़ित लोग वापस आ गए परंतु इस समस्या का समाधान होने के बावजूद भी यदि कोइ भी व्यवधान उत्पन्न करता है तो पीड़ित लोगों का कहना है कि वे धरना प्रदर्शन हेतु मजबूर होंगे क्यो कि नदी के बहाव को दूसरी ओर यदि ना किया गया तो सैकड़ों मकान गिरने से कोइ भी नहीं बचा सकता यही ध्रुव सत्य है,, बाकी यदि बात सत्य के विरोध की करते हैं तो विरोध हमेशा सत्य का ही हुआ है झूठ तो सभी की पसंद बन चुका है,, एक पूरी कालौनी को बचाने हेतु जिला प्रशासन द्वारा लिए गए राजस्व हित के निर्णय पर भी डस्ट उड़ने, जाम लगने आदि जैसे तर्क हमारी संकुचित मानसिकता का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं,, हम विकास चाहते हैं लेकिन राजस्व बढ़ोत्तरी के कार्यों का विरोध करते हैं,, हम समय से वर्षा चाहते हैं लेकिन वृक्षों को लगाना पसंद नहीं करते,, हम आपस में प्रेम और एकता की बात करतें हैं लेकीन उनकी वास्तविक समस्या के निदान हेतु सहयोग की जगह विरोध करते हैं,, क्यों,,,?
बीते साल उत्तराखंड सरकार को उम्मीद से कम रजस्व की प्राप्ति हुई थी वित्तीय वर्ष 2023 में सरकार ने 24745 करोड रुपए की आय का लक्ष्य रखा था लेकिन 22 दिसंबर तक 16436 करोड रुपए ही सरकार कमा पाई है.।
दीपक नौटियाल चेयरमैन प्रतिनिधि,, महावीर गुसाई पूर्व अध्यक्ष पर्वतीय बंधु समाज,,सूर्यांस त्यागी जी, एस पी शर्मा, राम रावत, जय कुमार त्यागी, दिनेश बिस्ट, सूरज राणा, लखपत राणा, के यादव, बाबूराम सेमवाल, नैथानी जी, अजय त्यागी, राहुल त्यागी, अभिषेक सिंह, हरेंद्र सिंह रावत, अक्षय भट्ट जी,शिवाकांत पाठक, संजय जी आदि नवोदय नगर के शुभचिंतक शामिल रहे।
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