ऑर्डर ऑर्डर वर्षा बनाम सरकार क्या वारिश करेगी हद पार।

 


स.संपादक शिवाकांत पाठक।

            

( भारतीय मौसम विभाग दिल्ली द्वारा एक माह पूर्व अति वृष्टि एवम दैवीय आपदाओं हेतु जारी की चेतावनी को स्मरण रखना )




 रिपोर्ट महावीर गुसाईं,,,

 अभी तो हम चिल्ला रहे थे - 

 हाय गर्मी हाय गर्मी!

हाय हाय गर्मी।

ये गर्मी क्या करेगी?

उफ ,42/43/44/45/46/47/48/49 डिग्री पार % सारे रिकार्ड तोड़ दिए गर्मी ने.



 जब  अभी शुरूआत  में वर्षा ने अंगड़ाई ली ,,,, तो 

दिल्ली हर तरफ

  झील, ताल, तलाइया नजर आने लगी जबकि अभी तो इसे ट्रेलर माना जा सकता है ।

  एक दिन की बारिश ने दिल्ली की सारी पोल पट्टी खोल कर रख दी यह आलम लगभग सभी जगह होगा ।  वर्षा ऋतु के तांडव को सिर्फ़ दिल्ली ही नहीं वल्कि प्रत्येक प्रदेशों में देखने को मिलेगा वह चाहें उत्तराखंड हो या फिर यू पी,, कानपुर हो या फिर हरिद्वार,,,

  अभी कल तक डब्बा बाल्टी लिए पानी पानी 

  चिल्ला रहे थे लोग ।

  अब हर तरफ पानी पानी चिल्ला 

रहे।

 हाय  रे दिल्ली.


अब एक सवाल जरा सरकार से पूछते हैं या फिर सरकार स्वयं सोच कर देखे कि 


क्या वर्षा से पूर्व कोई तैयारी की गई?

  क्या नालों की सफाई की गई ?

   वर्षा जल अमृत की तरह है।

  क्या वर्षा के जल को संरक्षित करने 

  का उपाय किए गया क्या नगर पंचायतों या नगर पालिकाओं  ने तालाबों की विनाश लीला की ओर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास किया,,,?


  राजतंत्र में राजा बेवकूफ नहीं थे.

 वे वर्षा जल को संरक्षित करने के लिया बड़े बड़े तालाब, कुएं, बावड़ी बनवाते थे जिसमें जल संरक्षित किया जा सके।

  क्या  आज सरकार या जिला प्रशासन द्वारा कोई ऐसा,  जलसंरक्षित रखने का  प्रयास किया गया ?

जवाब शायद नहीं  ही है।

 भूमिगत जल का स्तर बढ़े तो कैसे बढ़े?

  वर्षा जल भूमि के अंदर पहुंचे तो कैसे यह सब सोचने का समय ही कहां है ?


ईंट  कंकरीट का जंगल खड़ाकर रखा है। कहीं कच्ची जमीनें बची नहीं जिससे जल धरती में समाए।

अभी न संभले तो  आगे आगे देखो होता है क्या,,,,?


 यहां तो हाल यह है कि जब प्यास लगती है तब कुआं खोदना शुरू करते हैं,, नवोदय नगर हो या फिर सिडकुल कंपनी एरिया वर्षा के पहले बचाव का कोइ भी समाधान नहीं सोचा जाता है लेकिन जब वर्षा अपना भयानक रौद्र रूप धारण करती है तो सैकड़ो मकान धराशाई होने की कगार पर पहुंच जाते हैं,,


अभी बार बार जिला प्रशासन से समाज सेवियों द्वारा गुहार लगाने पर मशीन से खुदाई कर संवेदन शील आपदा ग्रस्त क्षेत्र को रेत की खुदाई कर  दीवार बना कर सुरक्षित करने का प्रयास कितना सार्थक होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है सुरक्षा कवच की शक्ति का अहसास तभी तो होगा जब वह रण भूमि में दुश्मन द्वारा छोड़े जाने वाले विकराल शस्त्रों के वेग को सहन कर जाए,,,


बाढ़ की स्थिति में मौजूदा एस डी एम हरिद्वार श्री पूरण सिंह राणा द्वारा यह प्रतिक्रिया अपनाई जा चुकी है जो कि समाधान हेतु पर्याप्त साबित नहीं हुई थी,, और वही प्रतिक्रिया वर्तमान में चल रही है,,,


जिला प्रशासन द्वारा ज़ारी खनन टेंडर के आधार पर लगातार तीन माह तक खनन होने पर यह खतरा पूरी तरह से टाला जा सका था,,,


सोचिए जो रेत जमीन में पूरी पकड़ मजबूत बना चुकी हो उसे जमीन से प्रथक कर किसी भी क्षेत्र को सुरक्षित कैसे कर सकते हैं,, वह तो अति तीव्र गामी जल प्रवाह के लिए तिनका साबित होगी ,, और हमारा सुरक्षा कवच एक झटके में बहता दिखेगा,,



फिर तो बस एक ही गाना याद आयेगा,,,,नदिया चले चले री धारा, तुझको चलना होगा।

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