वो भयानक सच जिसे सुनकर आप सोचने के लिए मजबूर हो जाएंगे!

स. संपादक शिवाकांत पाठक मैं भारत के बुद्धिजीवियों से यह पूछना चाहता हूं कि क्या वे भारत के संविधान के बारे में विस्तार से जानकारी रखते हैं ? विस्तार से न सही सिर्फ संविधान के अस्तित्व पर एक नजर डालें- - हमारा संविधान चार स्तंभों पर आधारित है जैसे कि बैड, कुर्सी आदि चार पाए पर ही टिकी रहती है ! तो चार स्तंभ इस तरह से हैं पहला न्यायपालिका,दूसरा कार्य पालिका, तीसरा विधायका , और चौथा स्तंभ आप के सामने है पत्रकारिता जो वास्तव में सच्ची समाज सेवा के जुनून में या तो अपना व अपने परिवार का पेट नहीं भर पाता या फिर मजबूरियां उसे बिकने पर मजबूर कर देती हैं उसे शासन, प्रशासन, या सरकार ना तो सैलरी देती हैं ना ही सुरक्षा और न ही मदद न गाड़ी ना पेट्रोल कुछ भी नहीं क्यों ? क्योंकि वह जनता की आवाज उठाता है अपनी जान हथेली पर लेकर तमाम गैर कानूनी कामों का पर्दा फाश करता है लेकिन यदि ईमानदार है तो उसकी जिंदगी नर्क बन जाती है सरकार को छोड़ो समाज भी उसका साथ या मदद के लिए हांथ नहीं बढ़ाती , न्यायपालिका का काम सभी को निष्पक्ष रूप से न्याय प्रदान करना है तो क्या काम सच में बखूबी तौर से अ...