इंसान खोजता रहा इंसान ना मिला! स. संपादक शिवाकांत पाठक!
इंसान खोजता रहा इंसान ना मिला!
बदतर हुए हालत तो ईमान ना मिला!!
किसको बताऊं दर्दे दिल मैं सोचता रहा!
मैं घर बुलाऊं जिसको वो मेहमान ना मिला!!
हद हो गई इंसानियत का दम निकल गया!
दफनाऊं कहां अब तलक शमशान ना मिला!!
इंसान खोजता रहा इंसान ना मिला!
बदतर हुए हालत तो ईमान ना मिला!!
सब्जी की तरह बिक रहा इंसान का वजूद!
अफसोस है सच्चाई को सम्मान ना मिला!!
इंसान बिका, न्याय बिका, बिक गया वजूद!
अब बेचने के वास्ते सामान ना मिला!!
दौलत बहुत कमाई पर खुशियां नहीं मिलीं !
अपनों को खो दिया मगर भगवान ना मिला!!
इंसान खोजता रहा इंसान ना मिला!
बदतर हुए हालत तो ईमान ना मिला!!
रचनाकार=स. संपादक शिवाकांत पाठक उत्तराखंड हरीद्वार वी एस इन्डिया न्यूज लाईव चैनल दैनिक साप्ताहिक विचार सूचक समाचार पत्र सूचना एवम् प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त 📞 9897145867
Very nice 👍👍
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