_कृषिकानून/किसानआंदोलन,2020_*बिना निर्धारित प्रक्रिया के निर्मित कृषि कानून : हश्र भुगत रहा अन्नदाता!* रिजवान खान प्रदेश संयुक्त सचिव किसान कांग्रेस उत्तरखंड!

_कृषि कानूनो के बारे में, सुप्रीम कोर्ट की सबसे महत्वपूर्ण टिप्पणी यह है कि यह कानून बिना पर्याप्त विचार विमर्श के ही बना दिये गए। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अब जब उन कानूनो का अध्ययन किया जा रहा है तो बहुत से संवैधानिक अंतर्विरोध इन कानूनो में दिख रहे हैं। यहां तक कि विचार विमर्श के लिये नीति आयोग द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट्स पर भी विचार विमर्श नहीं किया गया।_ आखिर इन कानूनो को पारित करने के पीछे कौन सा दबाव ग्रुप काम कर रहा था, जिसके कारण इन कानूनों को जल्दी से जल्दी पारित करने की जिद सरकार ठान बैठी थी। तीनो कृषि कानूनो के बारे में एक नयी जानकारी यह मिली है कि यह तीनों कानून, जो सितंबर 2020 में संसद में पेश किए गए और आनन फानन में राज्यसभा से हंगामे के दौरान पारित कर दिए गए, उन पर तो मुख्य मंत्रियों की उच्च स्तरीय कमेटी ने कोई विचार विमर्श ही नहीं किया था। _जबकि ऐसे विचार विमर्श के लिये सरकार के थिंकटैंक नीति आयोग के गवर्निंग काउंसिल ने परामर्श ...