यथा राजा तथा प्रजा आज अचानक अपराधों पर विराम क्यों ,,,?
संपादक शिवाकांत पाठक !
चारधाम यात्रा का केंद्र बिंदु धरम नगरी हरिद्वार जिसे भगवान विष्णु की हृदय स्थली कहा गया है तमाम अपराधिक मामलों में अग्रणी रहा है लेकिन अचानक अपराध जगत में मची खलबली का रहस्य जानते हैं आप ? परिवर्तन श्रष्टि का नियम है , हर पल हर सांस में परिवर्तन छिपा हुआ है ,, सनातन धर्म एवम् संस्कृति में वेद,, शास्त्रों के साथ ही श्रीमद भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण स्वयं कहते हैं कि यदा यदा हि धर्मस्य,,,,, यानी कि जब जब धर्म की हानि होती है तब तब भगवान स्वयं आते हैं स्वयं का मतलब भगवान आकर यह नहीं कहते कि मैं भगवान हूं बस समझदार, आध्यात्मिक , ज्ञानी पुरुष जान लेते हैं कि यह साधारण पुरुष नहीं वल्कि अवतार है जैसे प्रभु राम को रावण अंतिम समय तक चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ का पुत्र समझता रहा यही उसका अज्ञानता रूपी अहंकार उसकी मृत्यु का कारण बना ,, इसी प्रकार उत्तराखंड की बागडोर संभालते ही मुख्मंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तमाम ऐसे निर्णय लिए जो कि ऐतिहासिक कहलाए जा रहे हैं उन्हीं में से एक अहम निर्णय है एस एस पी अजय सिंह को धरम नगरी हरिद्वार की बागडोर सौंपना लेकिन अचानक ऐसा निर्णय लेने के पीछे रहस्य क्या है ,,, ,? कोई भी नहीं बस ,, जस क्षण रघुपति जस करें तस क्षण तस मत होय,, भगवान जब जैसा चाहता है वैसा ही होता है ,, स्पष्ट है कि यह सम्पूर्ण व्यवस्था ईश्वर ने खुद ही बदली है ,,, वरना इतने वारंटी कब गिरफ्तार हुए हैं , ? कब नशा मुक्त उत्तराखंड के लिए चौपाल लगी,,? कब अपह्रत दुध मुहे बच्चे 24 घंटे के अंदर सकुशल बरामद हुए ,,? कब पुलिस टीम पर पथराव करने वाले अल्प समय में जेल की सलाखों में देखे गए,,? कब शराब के तस्कर इतनी बड़ी संख्या में जेल गए ,,,? कब सीनियर सिटीजन को जिले के एसएस पी ने मीटिंग के दौरान कहा कि हम आपके साथ हैं ,,? बोलिए चुप क्यों हो गए आप ,, क्या यह अचानक परिवर्तन ईश्वरीय प्रेरणा या चमत्कार नहीं है ,,,?
अचानक ही सुरक्षा व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी का निर्वहन करने वाला अधिकारी अनाथाश्रम पहुंच कर बच्चो को हृदय से लगा लेता है ,, बाल दिवस पर स्कूल बस में खुद जाकर बच्चो को टॉफी, गिफ्ट देने वाला व्यक्ति क्या वास्तव में आपको ईश्वरीय चमत्कार नहीं लगता ,,?
यह वास्तव में श्रष्टि का परिवर्तन है अधर्म का नाश करने के लिए ईश्वरीय प्रेरणा अनुसार ही व्यवस्था परिवर्तन हुआ है ,, इसलिए इस परिवर्तन में आप सभी को सहयोग करना चाहिए ताकि की जनपद हरीद्वार की पुलिस खुद को अकेला महसूस न करे, साथ ही जिले की कमान संभालने वाले अजय सिंह आप सभी के लिए सदैव तत्पर रहकर आपके सहयोग को याद करें ,,,
संस्कृत विवेक की भाषा है। इस भाषा में ऐसा भंडार है जो राजनीति और शासन समेत जीवन और समाज के तमाम पहलुओं को लेकर ऐसी बातें सामने रखती है जो समाज एवम् शासन के लिए मिसाल बन जाएं।
पहली कहावत यह हैः ‘राजा कालस्यकारणम’।
महाभारत के शांति पर्व में गुरु भीष्म पांच पांडवों में सबसे अग्रज युद्धिष्ठिर के सामने ‘राज धर्म’ के अर्थ की व्याख्या करते हैंः
कालो वा कारणं राज्ञो राजा वा कालकारणम्।
इति ते संशयो मा भूद्राजा कालस्य कारणम्।।
(राजा काल को बनाता है या काल राजा को बनाता है- इसमें तुम कभी संशय मत करना। जान लो कि राजा ही काल को बनाता है। जैसा राजा होगा, वैसा ही अच्छा या बुरा समय।)
जो राज धर्म को जानता है और बिना भेदभाव अपने लोगों को समान रूप से बर्ताव करता है, वैसा न्याय परायण राजा सभी के लिए खुशहाली और प्रसन्नता लाता है जबकि बुरा राजा अपने और अपने राज को नष्ट करता है।
दूसरी कहावत है- यथा राजा तथा प्रजा... जो राज धर्म के अर्थ की व्याख्या करता है। अर्थशास्त्र में चाणक्य कहते हैंः
राज्ञि धर्मिणि धर्मिष्ठाः पापे पापाः समे समाः|
राजान मनुवर्तन्ते यथा राजा तथा प्रजाः||
(यदि राजा पुण्यात्मा है, तो प्रजा भी वैसी ही होती है। यदि राजा पापी है, तो प्रजा भी पापी। यदि वह सामान्य है, तो प्रजा सामान्य है। प्रजा के सामने राजा का उदाहरण होता है और वह उसका ही अनुसरण करती है।)
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