ईश्वर की बिना मर्जी के पत्ता भी नहीं हिल सकता फिर खनन अवैध क्यों,,,? व्यंग,,,,।😅😅😅😅😅
स.संपादक शिवाकांत पाठक।
बुजुर्गों के मुंह से सुना है कि बिना उसकी मर्जी के पत्ता भी नहीं हिलता,, तो फिर जो भी अच्छा या बुरा हो रहा है वह सब कुछ उसकी मर्जी से ही हो रहा है,, यह तो है वास्तविक ज्ञान की बात ,, साथ ही गीता भी यही शिक्षा देती है कि तू कर्म कर वह निस्वार्थ भाव से कर कहीं भी स्वार्थ नहीं होना चाहिए,,वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे लोग जो इस वास्तविक ज्ञान को नहीं जानते वे लोग बेवजह टांग अड़ाते हैं ,, जैसे कि काल्पनिक नाम फिकरबंद जी फोन पर कहते हैं साहब उस जगह पर गलत काम हो रहा है,, और साहब जब दल बल के साथ पहुंचते हैं तो वहां पर कुछ भी गलत नहीं हो रहा था,, गलत है क्या कुछ भी नहीं,, कोइ व्यक्ति आपका कोई सामान उठा कर दुसरी जगह पर रख देता है तो गलत है इसमें,,, नदी की रेत को उठा कर उसका वजन हल्का करने हेतु दुसरी जगह रख रहे हैं कुछ कर्म वीर तो फिर गलत क्यों,,, यानि कि सूचना ही गलत थी ,, लेकिन फिकरबंद जी के पास सबूत हैं ना फिर सूचना कैसे गलत साबित होती है,, अब सवाल यह है कि,, गलत कब तक गलत होता है यदि गहराई में उतर कर देखा जाय तो विरोध करने वाले का मकसद कुछ और ही दिखता है ,, जब मकसद पूरा हो जाता है तो वही गलत कार्य फिकरबंद जी के लिए सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता बन जाती है,, तोता राम जी ने आज कह ही डाला,, बोले फिकर बंद जी आपको गलत और सही की खुजली कब से शुरू हुइ है ,, यह एक बीमारी है जिसका इलाज बहुत ही जरूरी होता है,, वरना सच तो यही है कि जब आप दूसरे व्यक्ति को गलत कहते हैं तो उसके पीछे छिपे हुए कारण पर आप भी कहीं न कहीं गलत साबित हो सकते है,, इतना सुनते ही फिकर बंद जी का ज्वालामुखी फूट पड़ा,, वे तन कर बोले कि तू मुझे ज्ञान ना सिखा वरना तेरी अभी खाट खड़ी कर दूंगा,, तू जानता नहीं है कि मैं कौन हूं,, तोता राम ने कहा कि जब मै यही नहीं जानता कि मैं कौन हूं तो आपको कैसे समझूं,, तोता राम पूरी तरह से अध्यात्म की बाते कर रहा था,, लेकिन फिकर बंद जी गुस्से में आग बबूला हो रहे थे,, बोले तू अपना ज्ञान अपने पास रख,, मै सच का पुजारी हूं झूठ या गलत मैं बर्दास्त नहीं कर सकता,, क्यों कि भाई तू ही बता की आज के दौर में ईमानदार कौन है,, रिश्वत, कमीशन, चंदा, आदि एक ही चीज के पर्याय वाची शब्द हैं,, गलत काम करने के लिए कुछ तो पूजा,भेंट, त्याग तपस्या बलिदान की जरूरत होती है,, और पूजा किसे पसंद नहीं है,, हम तो कहते है कि रात दिन गलत करो लेकिन मेरे भाई पेट तो सभी के लगा हुआ है,,
तोता राम समझ गया कि फिकर बंद जी क्या कहना चाहते हैं,, आज उसे वास्तविकता का ज्ञान हुआ कि कोई जरूरी नहीं है कि गलत का विरोध करने वाला हर व्यक्ति राष्ट्र या फिर समाज सेवी हो,, उसके विरोध के पीछे उसका भी अपना एक मकसद होता है,, जिसे अब हर कोई जान चुका है,,
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