कौन करेगा समाधान में,, मीडिया पर लगते आरोप क्या साबित करते हैं।

 


स.संपादक शिवाकांत पाठक।



भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार प्राप्त है,, कोइ भी व्यक्ति अपनें विचार,, पम्पलेट, भाषण, या लिखकर व्यक्त कर सकता है यह हमारे भारतीय संविधान में अनुच्छेद 19 में स्पष्ट है तो फिर मीडिया को फर्जी कहना भारतीय संविधान की मर्यादा को लांघना साबित होता है,, क्यों कि अन्याय अत्याचार का विरोध करने हेतु भारतीय संविधान ने प्रत्येक नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी प्रदान की है, यह सत्य है कि पत्रकारिता के अनुसार अखबारों को आर एन आई की स्वीकृति की आवश्यकता होती है जिसमें सरकार द्वारा ज़ारी नियमों के अनुसार अखबार मालिक से एक हलफ नामा मांगा जाता है,, ताकि सूचना एवम प्रसारण मंत्रालय द्वारा ज़ारी सभी आवश्यक नियमों का अनुपालन सुनिश्चित हो सके,, साथ हलफ नामा में दैनिक, साप्ताहिक पाक्षिक मासिक अखबार, पत्रिका, का नियमित होना अनिवार्य होता है,, जिसका उल्लंघन होने पर सम्बन्धित समाचार पत्र पत्रिका को प्रतिबंधित कर दिया जाता है,


लेकिन हमारे संविधान में हर नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी के अनुसार अत्याचार अन्याय का विरोध करने हेतु स्वतंत्रता प्रदान की गई है,, तो फिर फर्जी शब्द का इस्तेमाल करना शायद मौलिक अधिकारो पर प्रश्न चिन्ह साबित होता है,,


समय के बदलाव के चलते सोसल मीडिया ने भी अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिससे कि अपराध एवम भरष्टाचार  के मामलो में काफी कमी देखने को मिल रही है,, हर गलत काम करने वाला एस बात को लेकर सशंकित रहता है कि कहीं कोई विडियो ना बना रहा हो साथ ही फोन पर बात करते समय रिकार्डिंग के खतरे को भी प्रत्येक गलत कार्य करने वाला भांप लेता है,, मतलब स्पष्ट है कि शोसल मिडिया से तमाम नुकसानों के चलते फायदे भी हैं,,



प्रेस और मीडिया को समान अधिकार हैं - किसी भी व्यक्ति को जानकारी लिखने, प्रकाशित करने, प्रसारित करने और प्रसारित करने का न तो अधिक और न ही कम। प्रेस को यह अधिकार भारत के संविधान, 1950 के अनुच्छेद 19(1)(ए) में भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार से प्राप्त है।


भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में मौखिक रूप से, लिखकर, मुद्रण, चित्र या किसी अन्य तरीके से व्यक्त करने का अधिकार शामिल है। इसमें संचार की स्वतंत्रता और किसी के विचार को प्रचारित या प्रकाशित करने का अधिकार शामिल है।


भारतीय संविधान में स्वतंत्रता का अधिकार मूल अधिकारों में सम्मिलित है। इसकी 19, 20, 21 तथा 22 क्रमांक की धाराएँ नागरिकों को बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित ६ प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान करतीं हैं। भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारतीय संविधान में धारा १९ द्वारा सम्मिलित छह स्वतंत्रता के अधिकारों में से एक है।


19(क) वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता


19 (ख) शांतिपूर्ण और निराययुद्ध सम्मेलन की स्वतंत्रता


19 (ग) संगम, संघ या सहकारी समिति बनाने की स्वतंत्रता


19 (घ) भारत के राज्य क्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण की स्वतंत्रता


19 (ङ) भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र कही भी बस जाने की स्वतंत्रता


19 (छ) कोई भी वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार की स्वतंत्रता [1]


आप अपनें विचार कमेंट बॉक्स में जाकर दे सकते हैं 🙏🙏🙏🙏


कौन करेगा समाधान कार्यक्रम के अनुसार वी एस इंडिया न्यूज चैनल दैनिक विचार सूचक समाचार पत्र सूचना एवम प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त परिवार की ओर से अनुरोध है कि आप अपनी या अपने परिचित की किसी भी समस्या को हमारे पास भेज सकते हैं ,,, व्हाट्स ऐप नंबर,,9897145867


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