क्या कहता है दिल,,,,
( क्या कहता है दिल )
क्या कहता है दिल बतलाओ,
बोल सको तो सच बोलो भी।
भाव रहे जो मन में उमड़े,
कभी-कभी उनको तौलो भी।।
दिल की नदियाँ प्यार भरी है,
लहरें इसमें अनगिन दिखतीं,
मिला चंद्रमा इसको कोई,
कथा ज्वार-भाटे की लिखतीं।।
हैं किससे प्राण हुये स्पंदित,
अब भेद इसी का खोलो भी।।
भाषा दिल की दिल ही जाने,
राग प्रीति के सब पहचाने।
हर युग का यह रहा विजेता,
तब भी लोग लगे अनजाने।
कोई तुम्हारा हो ना हो,
पर आप किसी के हो लो जी।।
विरह सदा ही सखा प्रेम का,
यह स्मृतियों का संयोजक है।
संयोग हुआ जिन पल क्षण में,
उन सब का यह योजक भी है।
पाना है नवनीत हृदय का,
कलुष भाव दिल का वो लो जी।।
राज किशोर वाजपेयी "अभय"
ग्वालियर
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