मतलबी दुनियां में,मुश्किल है सच्चा मित्र मिलना! स. संपादक शिवाकांत पाठक!

तुलसीकृत रामचरितमानस की एक चौपाई जो कि ज्यादातर लोग जानते होंगे धीरज धर्म मित्र अरु नारी। आपति काल परखिए चारी। यह पूर्णतया सत्य है कि सच्चे मित्र की पहचान विपत्ति के समय ही होती है। जो मित्र विपत्ति में आपका साथ दे वही सच्चा मित्र है। जो मित्रों की खुशी में शामिल होता है और दुख आने पर आपसे दूर हो जाता है तो वह आपका सच्चा मित्र नहीं हो सकता बल्कि ऐसा मित्र तो शत्रु से भी ज्यादा खतरनाक है। मित्रता हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। मित्र के बिना हर व्यक्ति अकेला है। सच्चे मित्र मुश्किल से मिलते हैं। सुदामा कृष्ण की मित्रता सच्ची मित्रता का सबसे बड़ा उदाहरण है। जिस प्रकार पौधों को जीवित रखने के लिए खाद और पानी की जरूरत होती है, उसी तरह मित्रता को बरकरार रखने के लिए सहयोग और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है। मित्रता अनमोल है और हमें सुचारू रूप से चलने में सहायता करती है। हम सभी के जीवन में सच्चे मित्र का होना परम आवश्यक है, अतः मित्रता को हर हाल में बचा कर रखना चाहिए। संस्कृत का एक श्लोक है कराविव शरीरस्य नेत्र योरिव पक्षमणि। अविचार्य प्रियम कुर्यात तनमित्रं मित्रमुच्यत...