पूछता है हरिद्वार ?क्या जमीन खा गई तालाबों की भूमि!
संपादक शिवाकांत पाठक ! मिशन के तहत एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है ग्राम पूरन पुर साल्हापुर हरिद्वार की सरकारी जमीन पर स्थिति रामजोड़ा जहां पर गुरु नानक व संत रविदास जी का शास्त्रार्थ हुआ था व वह भूमि 12 बीघे सरकारी दस्तावेजों में दर्ज थी ,जो भूमि ऐतिहासिक धरोहर के रूप में रमजोड़ा तालाब के नाम से मशहूर थी उसके अस्तित्व को समाप्त करने के उद्देश्य से हरिद्वार जिला व तहसील प्रशासन ने खुर्द बुर्द कर युक्त भूमि को वर्तमान में केवल 4 बीघे दर्साई है 8 बीघे जमीन आसमान खा गया या जमीन निगल गई यह बात सोचनीय है! संबधित पटवारी व ग्राम प्रधान पूरन पुर पवन पाल द्वारा प्रशासन की शय पर प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हुए जिस तालाब के अस्तित्व को समाप्त किया गया शायद वे नहीं जानते कि माननीय सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश द्वारा सम्पूर्ण भारत के तालाबों का सुंदरी करण कराए जाने के आदेश दिए गए थे लेकिन सुंदरी करण तो वाकायदे कागजों पर भारी रकम हड़पने के लिए किया जा रहा है पर मौके पर क्या है यह आम जनता नहीं जानती अनपढ़ बेवकूफ भोली जनता की बेवकूियां इन सभी प्रधान , व प्रशासनिक अधिकारियों के लिए वरदान बन गईं जिससे गावों में वाटर लेवल नीचे चला गया तालाब समाप्त होने से जानवरों के लिए पानी का भारी संकट छा गया जानवर मरने लगे आदमी भी पानी की समस्या से जूझ रहा है क्यों कि वाटर लेवल नीचे चला गया लेकिन लालच वस भूखे भेड़िए चंद पैसों के लिए बिक रहे हैं सरकारी दस्तावेजों में हेरा फेरी को लेकर ग्रामीणों में रोष देखा गया व धर्म विशेष की भावनाओं को ठेस पहुंचाई गई जिससे आहत हो कर जनकल्याण सेवा ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदीप चौधरी व ग्रामीणों ने भारतीय पुरातत्व विभाग व माननीय प्रधान मंत्री मोदी जी को शिकायती पत्र लिखा अब देखना है कि भ्रटाचार से सच्चाई की जीत होगी या एक बार फिर रावण रूपी भ्रष्ट तंत्र जीतेगा ?
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