मोबाइल फोन का इस्तेमाल हो सकता है जीवन के लिए खतरनाक !
स. संपादक शिवाकांत पाठक!
स्मार्ट फोन आधुनिक जीवन में लोगो का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है। लोगो के अनुसार स्मार्ट फोन का होना बेहद जरुरी समझा जाने लगा है, और यह बात काफी हद तक सही भी है। परंतु फोन का जादा उपयोग करना हमारी सेहत को पूरी तरह से खराब भी कर रहा है। आवश्यकता से अधिक किसी वस्तु का प्रयोग करना हमेशा से नुकसानदायक ही रहा है, या तो वह वस्तु हमें अपनी आदी बना देती है या फिर हमारे मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर नुकसान करती है। आज फोन ने लोगो को अपना आदि बनाया ही है साथ ही स्वास्थ्य पर भी काफि नकरात्मक प्रभाव डाला है।
हर वस्तु के नुकसान भी होते है और फायदे भी। स्मार्टफोन से हमें काफि ज्ञान से सम्बंधित बाते भी पता चलती है वही हमारी बुद्धि का विकास भी होता है। इस महामारीकाल मे तो सभी ने स्मार्ट फ़ोन के माध्यम से अपनी पढ़ाई व अन्य दूसरे कार्य भी किए है, परंतु साथ ही इस महामारी के दोरान लोग इसके आदी भी बने है। व्यक्ति की दिनचर्या फोन से शुरू होकर रात्रि में फोन में समाप्त होती है। एक शोध के अनुसार व्यक्ति हर 3 सैकेंड मे अपना फोन चेक करता है। इस तरह वह दिन - भर अपना सारा समय सोशल मिडिया, गेम्स , वीडियो मेकिंग व वीडियो देखने मे व्यतीत करते है।
अगर आप मोबाइल फोन पर ज्यादा समय बिताते है तो हो सकते है ये नुकसान-
* फोन का ज्यादा प्रयोग करने से सबसे ज्यादा आँखों पर जोड़ पड़ता है, आँखों में खिंचाव आता है, और सिर दर्द होने लगता है । इसलिए हमेशा आँखों की देखभाल करनी चाहिए ये हमारे शरीर का सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है।
* फोन अधिक उपयोग करने से व्यक्ति के व्यहवार मे चिड़चिड़ापन आ जाता है।
* व्यक्ति बेचैन रहता है।
* बजाय फोन पर अपना समय व्यतीत करने के व्यक्ति को 8 घंटे की पूरी नींद लेनी चाहिए । रात- रात भर फोन प्रयोग करने से नींद मे अनीयमयता आने लगती है, और दिन भर थकान महसूस करने लगता है।
* इस तरह मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर काफी प्रभाव पड़ता है।
वर्तमान समय में 90% लोग ' ' नामोफोबिया ' से पीड़ित है। नोमोफोबिआ अंग्रेजी के तीन शब्दो से मिलकर बना है नो+ मोबाइल +फोन तथा फोबिया अर्थात डर ,मोबाइल फोन का प्रयोग ना कर पाने का डर 'नोमोफोबिआ 'कहलाता है।
टेक्स्ट्नेक्क् : मानव शरीर का वजन 4.5 से 5.4kg तक होता है परंतु फोन का उपयोग करते समय सर को नीचे झुकाने पर 27 kg का स्ट्रेस हमारी गर्दन पर पड़ता है और रीढ़ की हड्डी की बनावट में बदलाव आने लगता है जिस वजह से पीठ में और मांशपेसियो में दर्द होने लगता है। इस बीमारी को टेक्स्ट्नेक सिंड्रोम कहते है ।
इस तरह फोन की बाहरी दुनिया में रहने के बजाय वास्तविक जीवन में जीना चाहिए।
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