उसने वर्दी नहीं पहनी लेकिन वो किसी सैनिक से कम भी नहीं थी!



स. संपादक शिवाकांत पाठक! उत्तराखंड हरिद्वार! प्रेम का कोई भी मजहब नहीं होता ये तो सुना होगा आपने लेकिन प्रेम इंसानों की निजी संपत्ति नहीं है ये जानवरों , पशु , पक्षियों में भी होता है पता है क्यों ? क्यों कि प्रेम ईश्वर की एक अद्भुत रचना हैं एक छोटे से बच्चे को एक बार अचानक एक डॉगी से प्रेम हो गया बेसहारा घूमने वाले छोटे से डॉगी को वह पीठ बाजार से उठा लाया व उसका खुद से ज्यादा खयाल रखने लगा तो वह डॉगी भी उस बच्चे को अपना पूरा प्यार लुटाते हुए हर पल उसके साथ साए की तरह रहने लगी लावारिस  डॉगी को लाने वाले बच्चे का नाम अनमोल है  व डॉगी का नाम टौमी था मुहल्ले की हिफाजत करने वाली डॉगी अचानक बीमार हो गई व कुछ कर पाते इससे पहले ही अपनी वफादारी का कर्ज छोड़ दुनियां से विदा हो गई मुहल्ले में गम का माहौल छा गया  डॉगी अपने पीछे   छोटे बच्चो को छोड़ गई  लेकिन डॉगी को नहीं मालूम था कि मतलबी दुनियां में भी सच्चे लोग मौजूद हैं उस बच्चे अनमोल ने रो रो कर बुरा हाल कर दिया  व मुहल्ले के मनोज कुमार जी व स. संपादक शिवाकांत पाठक पत्रकार ने डॉगी के बेहद करीबी अनमोल के साथ डॉगी का  विधिवत अंतिम संस्कार संपन्न किया तथा नम आंखों से पुष्प  समर्पित कर श्रदधांजलि अर्पित की जिससे कि एक मानवीयता  का नया उदाहरण सामने आया खुदगर्ज दुनियां में इंसानों के साथ वफा करने वाली डॉगी को यह सम्मान देना एक इंसानियत की तस्वीर है वैसे इंसानों द्वारा पाले गए सर्व प्रथम जानवरों में इतिहास में सिर्फ कुत्ते का ही नाम आता है 


आतंकवादियों और घुसपैठियों से उसने सीधे मुकाबला नहीं किया लेकिन कइयों की जान बचाने के लिये उसने अपनी जान को दांव पर लगाया और वो भी बार बार ….! भारतीय सेना का अहम हिस्सा रहे उस जांबाज़ ने जब आखिरी सांस ली तो उसे अनेक वर्दी वाले देशभक्त जवानों ने सैनिक सलाम दिया. उम्र थी महज़ नौ साल. नाम था – डच. एक गोल्डन लेब्रेडोर श्वान. खोजी विशेषज्ञ कुत्ता.




भारतीय सेना की पूर्वी कमान के मुख्यालय में इसे सेना की आखिरी सलामी देने के लिए जब सब असम के तेजपुर स्थित 19 आर्मी डॉग यूनिट पर इकट्ठा हुए तो वो वाकई बेहद भावुक पल थे. 11 सितम्बर को आखिरी सांस लेने वाले सेना के इस खोजी कुत्ते डच के कारनामे सबकी जबान पर थे. शनिवार को भारतीय सेना की पूर्वी कमान की तरफ से इससे जुड़ी तस्वीरें ट्वीटर पर डाली गईं और साथ ही श्रद्धांजलि संदेश भी लिखा गया, ” डच, पूर्वी कमान का डेकोरेटेड श्वान था जिसने बहुत बार, घुसपैठ रोकने और आतंकवादियों के खिलाफ किये गये ऑपरेशंस के दौरान, आईईडी खोजने में भूमिका निभाई. राष्ट्र की सेवा में रत एक असली हीरो!

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