कोराना काल में यमराज की मुस्किलें
( हास्य) स. संपादक शिवाकांत पाठक!अचानक यमराज भैंसें पर सवार हो कर सरकारी अस्पताल में पहुंचते है व एक व्यक्ति को काल पांस में बांधने के लिए जैसे ही आगे बढ़ते हैं तो वह व्यक्ति कहता है आप कौन हैं बिना पूछे अंदर आने की हिम्मत कैसे की ? यमराज कहते हैं कि तुम्हारा समय पूरा हो चुका है मै तुम्हें लेने आया हूं मुझे किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है मै कर्मों के अनुसार प्राणी को उसके सही स्थान स्वर्ग या नर्क तक पहुंचा देता हूं ! लेकिन सामने वाला व्यक्ति कोई मामूली व्यक्ति नहीं वल्कि आई ए एस अफसर था उसने कड़क अंदाज में कहा कि शायद तुम मुझे नहीं जानते मै कौन हूं मैं एक आई ए एस अफसर हूं मै चाहूं तो एक मिनट में तुमको अभी अरेस्ट करवा सकता हूं तुम कहां ले जाना चाहते हो तुम कौन हो पहले अपना आईडेंटी कार्ड दिखाओ वरना अभी मैं तुमको पुलिस के हवाले करता हूं ! यमराज हक्के बक्के रह गए वे तो आईडेंटी कार्ड जानते भी नहीं थे वे बोले मानव तुम कुछ भी नहीं हो ये सब स्वप्न था जो तुम देख रहे थे तुम एक मानव हो बस इसके शिवा तुम कुछ भी नहीं अब तुम्हारा समय पूरा हो गया तुमको जो काम दिया गया था वह तुमने किया या तुम अपने भौतिक सुखों में भूल गए यह हिसाब होगा और यमराज उस वी आई पी आत्मा को लेकर यमलोक के लिए चल दिए लेकिन यमलोक का नजारा देख कर तो वी आई पी आत्मा के होश उड़ गए वहां तो गेट पर तमाम जीवात्माएं अपनी बारी का इंतजार कर रही थीं वहां वी आई पी लाइन भी नहीं थी लाइन में तमाम बड़े बड़े नेता व मंत्री भी थे जो अपने सूटकेश में करोड़ों रुपए लेकर आए थे लेकिन अंदर जाने से पहले ही कह दिया गया कि अंदर किसी भी तरह का धन नहीं जाएगा केवल इस्वर के भजन का धन जा सकता है परोपकार भी जा सकता है अब समस्या बढ़ गई थी कुछ नेताओ ने कहा कि इतनी लंबी लाइन में जो दलित वर्ग के लोग हैं उनके लिए तो कम से कम आरक्षण होना चाहिए दलित वर्ग ने नेताओं की ओर देखा व हल्ला सोर सराबा मचाना शुरू कर दिया तभी यमराज ने यमदूतों को इसारा किया कि इन्हें ले जाकर इनके कर्मानुसार उचित नर्क में डाल दो व नेताओं से कहा कि शांत रहो यह मृत्यु लोक नहीं है अब तुम्हें किस योनि में जन्म लेना है यह हम सुनिश्चित करेंगे ! सभी ओर सन्नाटा छा गया अपने कर्मों को याद कर रोने लगे सभी ! लेकिन अब तो कुछ भी नहीं हो सकता था !
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