अटेंशन रखने से टेंशन कम हो जाता है!
मनोज श्रीवास्तव (सहायक सूचना निदेशक) देहरादून! रिपोर्ट स. संपादक शिवाकांत पाठक!
अपने शक्तियों के ऊपर पूरा अटेंशन रखना है। अटेंशन रखने से टेंशन कम हो जाता है। इसलिए समय के अनुसार हमारी संकल्प, वाणी और कर्म तीनों युक्ति-युक्त होना चाहिए, तभी तभी वातावरण भी योग युक्त और युक्ति-युक्त होगा। हमारी स्थिति युद्ध के मैदान में खड़े होने के समान है, इसलिए जरा भी अटेंशन कम होने पर चारों ओर से टेंशन बढ़ जाता है।
दिन-प्रतिदिन जैसे सम्पूर्णता का समय नजदीक आता जायेगा तो दुनियां में टेंशन और भी बढ़ता जायेगा न की कम होगा। एक तरफ प्रकृति की छोटी-मोटी आपदा के नुकसान सम्बन्धित टेंशन, सरकार के कड़े नियमों का टेंशन, लोगों के व्यवहार में होने वाली कमी का टेंशन है। इसके कारण मिलने वाले प्रेमऔर स्वतंत्रता के आधार पर मिलने वाली खुशी समाप्त होने के अनुभूति का टेंशन और वातावरण का टेंशन बढ़ता जा रहा है।
चारों ओर के टेंशन में लोग तड़प रहे हैं अर्थात् हम जहां जायें वहीं टेंशन जैसे शरीर की कोई नश खिच जाती है तो परेशानी होती है, उसी प्रकार दिमाग का नश खिचा होने के कारण टेंशन में हमें परेशानी डालता है। हमारे पास विकल्प का अभाव है हम क्या करें क्या न करें। अगर हाँ करें तो खिचावट और न करें तो खिचावट। अगर कमाये तो मुश्किल और न कमायें तो मुश्किल। इक्कठा करें तो मुश्किल और न करें तो भी मुश्किल। स्वयं को टेंशन में आने से समस्याऐं न भी हो तो भी छोटी समस्या बड़ी लगती है। भय की सोच में क्या होगा, कैसे होगा इन बातों का टेंशन है।
टेंशन के बीच में अपनी आत्मा का किला मजबूत रखना है। उमंग, उत्साह, और उछाल लाने के लिए हिम्मत रखनी है। अपने को बिजी रखना है क्योंकि फ्री होने से व्यर्थ का साईड निकल जाता है। स्वयं के सेफ्टी का साधन है अपना प्रोग्राम बनाकर रखना।
राजसिंहासन का अर्थ है राज का सिहांसन। राज्य करने वाले ही उस सिंहासन पर बैठैंगे किसी भी आकर्षण के, कर्मभोग के, इन्द्रियों के अधीन न होना ही राजा का आसन है। योग का आसन होता है, स्व के आसन पर स्थित होना। ऐसे करते हुए सभी कार्य स्वतः होता है, करना नहीं पड़ता है स्वतः हो जाता है।
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