लानत है,क्या पुलिस का सहयोग करने का आपका फर्ज नहीं बनता ?
स. संपादक शिवाकांत पाठक ! आजाद भारत की तस्वीर को पहचानो देखो वास्तव में क्या दिखता है आज हम आजादी को या तो जानते नहीं या हमारा जमीर मर चुका है आप सोचिए अपराध जब भी हमारे बीच होता है तो करने वाला कौन होता हम आप ही में कोई होता है तो क्या हमारी जिम्मेदारी नहीं बनती की हम उन्हें खोज कर पुलिस का सहयोग करें ? लेकिन हम पुलिस को ताने मारते हैं हम अपनी हिफाजत खुद नहीं कर सकते ? आप कहेंगे कि पुलिस को सेलरी मिलती है ? है ना तो सुनिए सच थोड़ा कड़ुआ जरूर होता है लेकिन उसे कोई झुठला नहीं सकता ! पुलिस कर्मियों को सप्ताह में या होली, दिवाली, दशहरा, 15 अगस्त,26 जनवरी आदि में कोई भी अवकाश नहीं मिलता फिर भी वे अपने परिवार की परवाह न करते हुए अपनी ड्यूटी को अंजाम देते हैं क्या आप बता सकते हैं कि हिंदुस्तान में कौन सा विभाग है जहां कभी भी छुट्टी नहीं होती ? जो तमाम विभाग सारी छुट्टियां लेते हैं व आप की समस्यायों की अनदेखी करते हैं बड़े बड़े घोटाले करते हैं उन पर तंज कसने की हिम्मत है आप में ? नहीं , तो सोचो अगर जरा सी भी मानवता है तो सोच कर देखो आपकी बहन, बेटी , जब कंपनी से घर सुरक्षित आती है तो समझें की हमारी पुलिस पूरी तरह हमारे साथ है रात 12 बजे जब आप किसी संकट में पुलिस को फोन करते हैं तब आप क्या महसूस करते हैं कौन आता है आपके पास नेता या अन्य कोई विभाग का व्यक्ति ? तो सोचिए जो छुट भैये नेता अपना नाम करने व आपको गुमराह करने के लिए पुलिस के खिलाफ जहर उगलने का काम करते हैं क्या वे संकट की स्थिति में आपके साथ होंगे ? कदापि नहीं ये तो अपनी रोटी सेंकने का काम करेंगे,आप थोड़ा तो मानवता के हिसाब से सोचिए जब आप रात में चैन की नींद सोते हैं तब कौन सा विभाग आप की हर पल सुरक्षा करता है ? सच बताओ ना आप यही कहेंगे पुलिस तो फिर आज प्रतिज्ञा करें कि आप भी अपना फर्ज निभाते हुए सच्चे हिन्दुस्तानी होने के नाते अपने परिवार की तरह पुलिस को भी महत्व देंगे मदद करेंगे कंधे से कंधा मिलाकर एक साथ चलेंगे तब ना अपराधी रहेगा न अपराध ! जय हिन्द जय भारत 🙏
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