गुजरे समय का मूल्यांकन करें

 



समय ही जीवन की अमूल्य धरोहर है खो कर पाया नहीं जा सकता! स. संपादक शिवाकांत पाठक!



 *जीवन का  खोया हुआ समय सिर्फ यादगार तस्वीरें बन जाता है*  समय के पास वह सब कैद रहता है जिसे हम भूल जाते हैं पर समय कभी नहीं भूलता हर बात का जवाब समय ही देता है समय या काल ईश्वर का ही रूप है  जैसे आप हैं लेकिन ईश्वर से बड़ा नहीं है ईश्वर सर्व शक्तिवान है भगवान राम से समय खुद मिलने पहुंचा था उनकी मर्जी जानने के लिए की उनकी क्या इक्षा है उनके द्वारा निर्धारित किए गए सभी कार्य पूरे हो चुके थे तब समय मिलने पहुंचा व कहा कि आप व हमारी वार्ता के दौरान कोई भी नहीं आना चाहिए यदि आए तो उसे मृत्यु दंड दिया जाए  लेकिन लक्ष्मण पहुंच गए तब राम को त्यागना पड़ा ! समय एक सीसी टीवी कैमरे की तरह आप की हर गतिविधि कैद करता है व समयानुसार उसका जवाब भी देता है वह गरीब अमीर ताकतवर या निर्बल देख कर फैसला नहीं करता सभी के लिए समान न्याय करता है इसका एक नाम सूर्य पुत्र शनिदेव भी है सूर्य समय का ही प्रत्यक्ष रूप है उनके पुत्र शनि कर्म फल के दाता हैं न्यायाधीश हैं गुजरते समय या वर्ष हमारे किए गए कार्यों को याद दिलाते हैं हमको सोचना चाहिए कि यह अमूल्य समय हम किसी का दिल दुखने में गलत तरीके से धन कमाने में  यूं ही ना जाने दें जिसने हमको जीवन दिया है उसे याद करते रहें उसकी बिना मर्जी के आप दूसरी सांस नहीं ले सकते यह एक पूर्ण सत्य है उसकी अदभुत रचना प्रकृति के नियमों का पालन करें सभी जीवों पर स्नेह रखें देखिए समय का सदुपयोग कैसे किया केवट ने राम चरित मानस में उल्लेख किया गया है कि केवट ने भी श्रीराम के चरण छूने का अवसर नहीं गवाया। भगवतगीता कथा में श्रीराम नदी किनारे पहुँचते है तो केवट अहिल्या का उदाहरण देकर भगवान् श्री राम के चरण धोने की बात करता है।


श्रीराम उनके मन की बात को भांप लेते है की केवट उनके चरण छूना चाहता है। श्रीराम अपने चरणों को आगे बढ़ा देते है। केवट उनके चरणों का आशीर्वाद लेकर प्रसन्न हो जाता है। इससे यह साबित होता है, हर इंसान को केवट की तरह समय का सदुपयोग करना चाहिए। गया हुआ वक़्त वापस नहीं आता है।




समय बहते हुए जल की तरह होता है। समय के अपने कुछ कायदे कानून है। एक बार हाथ से फिसला हुया समय फिर कभी वापस नहीं लौटता है। गलती से मुंह से निकली बात को मनुष्य वापस ठीक नहीं कर सकता, शरीर से निकली आत्मा वापस शरीर में दाखिल नहीं हो पाती है। गुजरा हुया बचपन और किशोरावस्था कभी वापस नहीं आता। जो गुजरा हुआ वक़्त है, उसे हम चाहे जो कुछ कर ले, वापस नहीं ला सकते है। इसलिए सही समय पर सही कार्य मनुष्य को करना चाहिए ताकि उसे बाद में पछताना ना पड़े।

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