समाचार से प्रतिशोधित होकर दर्जाधारी मंत्री ने दी पत्रकार को हत्या की धमकी!
! चौथे स्तंभ की स्वतंत्रता तब बाधित होती है जब सत्तामद में चूर बड़े बड़े औदे के लोगों व्दारा पत्रकारों की हत्या करने व धमकी देने जैसी निंदनीय कार्यशैली सामने आती जबकि पत्रकार का काम गैर कानूनी या भृष्टाचार में लिप्त लोगों के नकाब को हटाकर समाज व सरकार के सामने लाना होता है तो यहाँ प्रतिशोधित होकर हत्या की धमकी से स्पष्ट हो जाता है कि पत्रकार व्दारा प्रकाशित समाचार पूर्ण रूप से सत्यता परख है व ऐसे पत्रकार की स्वतंत्रता बाधित करने का अंजाम जानते हैं आप सरकारों को सवालों के कटघरे में खड़ा होना पड़ता है पत्रकार की हत्या सच की हत्या होती है संविधान की व्यवस्था का ऐक अंग होता है पत्रकार तो फिर यहाँ स्पष्ट हो जाता है कि हमलावर या मंत्री या बहुत बड़ा अधिकारी संविधान की हत्या करना चाहता है जबकि पत्रकार देश गद्दारों की असली तस्वीर सामने पेश करता है हांलाकि पत्रकारों का जीवन तमाम कठिनाइयों से भरा होता लेकिन यह भी सच है कि किसी भी पत्रकार के साथ प्रतिशोध की भावना से उठाये गए कदम सदैव दुखदायी होते हैं उ. प्र . में ऐक उदाहरण सामने तब आया जब ऐक पत्रकार ने मिड डे मील में मिलने वाले खाने से बच्चों की जान को खतरा से संबंधित समाचार निकाला व उ. प्र.सरकार ने पत्रकार पर तमाम मुकदमे लिखने का आदेश जारी कर दिया फिर क्या पत्रकारों का सुरक्षात्मक कवच भारतीय प्रेस परिषद दिल्ली में पत्रकारों ने न्याय की गुहार लगाई व भारतीय प्रेस परिषद ने जो आदेश किया उसे सुनकर सरकार के हाथ पैर फूल गए प्रेस परिषद ने कहा कि तुरन्त ही मुकदमे खतम कर सरकार यह बताये कि इस तरह की घटना पर पत्रकार उत्पीड़न कर्ताओं के विरुद्ध क्या कार्यवाही की जाए व पत्रकार के हित सरकार क्या कर सकती है तय करे ! पत्रकार समाज का अाइना है आइने में तो आपका चेहरा स्पष्ट दिखेगा तो फिर अपने बदसूरत चेहरे को देख पत्रकारों पर हमला या धमकी देने की बजाय काली करतूतों पर अंकुश लगाना ही उचित होगा क्यों कि आप अपनी सूझबूझ से सच लिखने वालों में जब किसी ऐक को निशाना बनायेंगे या हत्या करेंगे तो सैकड़ों पत्रकार विरोध करेंगे वह मामला दबेगा नहीं और ज्यादा उछलेगा इसलिए जिम्मेदार नेताओ या अधिकारियों को प्रकाशित समाचारों से बौखला कर प्रतिशोधित ना होकर अपनी गलतियों को सुधार करना चाहिए !
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