मूर्ख मेव जयते


 मूर्ख मेव जयते अंत में मूर्खता की ही विजय होगी ! (हास्य )


स. संपादक शिवाकांत पाठक!


हम जन्म से मूर्ख ही हैं हमारे मूल में मूर्खता है हम जब पैदा हुए तब विद्वान नहीं थे जब हम बड़े हुए तब भी हम मूर्खता करते रहे बात भले ही गलत हो लेकिन हमसे कहा गया कि सरकार के आदेश हैं अब सरकार कौन ? हमारे जैसा ही एक दम इंसान जैसे लोगों का समूह जिनके लिए कोई योग्यता तय नहीं हो यानि की स्कूल भी जाना अनिवार्य नहीं वाह  ये हुई ना बात और आदेश सभी मानेगें कितना भी पढ़ा लिखा हो  जिस देश में  तमाम विभाग हों व उनका संचालन आई ऐ ऐस , पी सी ऐस, व डिग्री धारी करते हों वहां भी  अनपढ़ लोग शासन कैसे कर सकते हैं मैने पूछा तो हमारे मित्र ने कहा कि फिजूल की बाते मत करो यह हमारा संविधान हैं इसका हम सम्मान करते हैं मै चुप हो गया क्या करता एक बेगुनाह बताने लगा कि उसपर एक फर्जी मुकदमा था दस साल केस चला दो साल जेल में रहना पड़ा बाद में बाइज्जत बरी हो गया तो भाई इज्जत कहां रही लेकिन मुझे याद आया कि मैं मूर्ख नगरी में खड़ा हूं मैंने ज्यादा अक्लमंदी दिखाई तो मै भी अंदर दिखाई दूंगा लेकिन तमाम बातें मुझे कचोट रहीं थीं जिनका जवाब मेरे पास ही नहीं किसी के पास नहीं था मैंने फिर हिम्मत करके पूछा भाई बिना पढ़ा व्यक्ति पढ़े लिखे लोगों पर शासन कैसे करता है मित्र ने कहा कि एक  व्यक्ति पचास जानवर सुबह से शाम तक चराता है तो चराने वाले के पास कोई डिग्री होती है क्या  मै चुप रह गया मैने कहा भाई वो जानवर हैं पढ़े लिखे लोग नहीं हैं ,,,, तो मित्र बोला जब अनपढ़ लोगों की बात पढ़े लिखे माने तो फिर ? ? ?

आपना खुद का सामान्य ज्ञान भी कहाँ ज्यादा  है सोचा थोडा बड़ा लिया जाय .,मेरे पास उपलब्ध पुस्तकों  को उल्टा-पलटा तो विदुर नीति  से सूक्ष्म ज्ञान प्राप्त हुआ ,आप तो जानते ही  है महाभारत काल का  हश्र। विदुर नीति के अनुसार मूर्ख किसे कहते है  ऐसे लोगों  को मूर्ख कहते है - जो शास्त्र शून्य होकर भी अति घमंडी है ,बिना कर्म के धन प्राप्त करता हो ,अपने कार्य को छोडकर शत्रु के पीछे दौड़ता हो ,मित्र के साथ कपट व्यवहार ,मित्र से द्वेष, विश्वास घात ,झूठ बोलने वाला ,गुरु ,माता ,पिता और महिला का अपमान करता हो,आलसी हो ,बिना किसी काम का  हो  वह मूर्ख की श्रेणी में आते है I स्वयं दूषित आचरण करता हो और दूसरों  के दोष की निंदा करता हो वह महामूर्ख कहलाता है I  इस प्रकार  धरा पर कोई भी इससे अछूता  नही है,  पढ़ा लिखा मूर्ख अनपढ़ मूर्ख से अधिक मूर्ख होता है , हमारा देश मूर्खो और महामूर्खो से भरा पड़ा है I 


हमारे देश में एक जुमला प्रसिद्ध है की मूर्ख मकान बनाते है और बुद्धिमान उसमे रहते है मूर्ख कमाते हैं बुद्धिमान खाते हैं, एक बार मकान किराए पर लेकर जिन्दगी भर मकान मालिक को मूर्ख बनाते  रहते है  और कोर्ट तक चप्पले घिसवाते है I

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