तुम कौन हो जवाब है क्या आपके पास ? स. संपादक शिवाकांत पाठक!
यदि कोई व्यक्ति आप से पूछे कि आप कौन हो तो आप क्या कहेंगे ? यही प्रश्न महर्षि दाधीच के पुत्र पिप्पलाद से देवर्षि नारद ने किया लेकिन पीपल के वृक्ष के फल खाकर जीवित रहने वाला गलत जवाब कैसे दे सकता था उसने नारद से कहा कि यही तो मुझे नहीं मालूम कि मै कौन हूं ? सच पूछो तो किसी को नहीं मालूम कि मैं कौन हूं जिसे मालूम हो गया वह बता नहीं सकता , बाबा तुलसी दास जी महराज लिखते हैं सोई जाने जेहि देई जनाई, जानत तुम्हें तुम्हें हुई जाही !! जो जान जाता है वह बता नहीं सकता क्यों ? क्योंकि क्या बताए वह बताने की वस्तु नहीं है अपार ज्ञान का प्रकाश का भंडार है परमानंद हैं तो क्या बताए वह जो खुद के असली स्वरूप को जान गया ! लेकिन जो नहीं जानते वे तो बताएंगे मैं सर्वेश कुमार हूं , मैं रामू हूं, मैं नेता हूं, मैं विधायक हूं, मैं डी ऐम , एस पी, सी ऐम ओ, आदि आदि लेकिन वास्तव में सच्चाई नहीं जानते वे तो बस ईश्वर के द्वारा दिए गए खिलौनों से खेल रहे हैं जब खेल खत्म होगा तो कोई भी कुछ भी नहीं होगा बस अंतिम सांसे होंगी परिवार सामने होगा हम जीना चाहते होंगे लेकिन मौत हमारे सामने होगी तब हमारा परिचय एक साधारण इंसान की तरह होगा तब हम कुछ भी नहीं होंगे हमारेअंतिम सफर का रास्ता एक ही होगा हमारी पहचान भी एक ही होगी हमको तो केवल कार्य सौंपा गया था कार्य काल पूरा हो गया हम समझ बैठे कि हम वास्तव में मालिक हैं भाई मालिक तो वह है जिसे तुम अभिमान वस भूल गए मतलब के लिए सिर्फ याद करते रहे बाकी अपनी कामयाबियों पर खुस होते रहे जब कि बिना उसकी मर्जी के पत्ता नहीं हिलता आप की सांसे तभी तक हैं जब तक वह चाहेगा बाकी तो आप की मरजी !
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