(मां शारदे मां को नमन)





 

मां ने प्यारा जीवन देकर 

धरा पर मुझे उतारा है। 

मैं माटी का अनघड़ पुतला 

 तूने मुझे संवारा है। 

 

प्रथम पाठ मां से सीखा है। 

शब्दों का संसार दिया। 

बुद्धि देकर तूने माते।  


अर्थो का आधार दिया!


प्रेम का मीठा ज्ञान मिला। 

मां तेरी अविरल धारा में। 

विद्या का वरदान मिला। 

 

मां गर जीवन की गति है तो।  

तुम सुरभित चेतन अस्तित्व। 

मां इस तन को देने वाली। 

तुम वो पूर्ण अमित व्यक्तित्व। 

 


जन्म हुआ भारत भूमि पर 

देश प्रेम का मार्ग चुना। 

मां तेरे बल के ही कारण 

शौर्य आत्म विश्वास बुना।

 

माता मेरी प्रथम गुरु हैं। 

मातु शारदे रक्षक हैं। 

माता है अमृत घट प्याला। 

आप पाप की भक्षक हैं। 

 

माता भावों की जननी हैं 

शब्द समंदर आप भरें। 

कृपा कटाक्ष से तेरे ही मां।  

हम सब सुंदर सृजन करें। 

 

करे दूर अवगुण से माता 

जीवन को आदर्श करे। 

मां तेरा चिंतन हम सबको। 

जीवन विमल विमर्श करे।

 

त्याग की मूरत माता होती।  

आप ज्ञान का सागर हैं। 

माता अमृत का है प्याला। 

आप अमिय की गागर हैं। 

 

नहीं ऊऋण दोनों से हम हैं। 

दोनों ज्ञान के रूप हैं।      

नाम अलग दोनों के लेकिन। 

दोनों ब्रह्म स्वरूप हैं।





मां शारदे के चरणों में समर्पित रचना🙏🙏🙏🙏


रचनाकार


स्वतंत्र पाठक 

हरीद्वार उत्तराखंड

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