वास्तव में जो आप चाहते हैं वह आपको मिलता नहीं है क्यों ???

 


स. संपादक शिवाकांत पाठक!

 

(विचार प्रवाह)


हमको जो जानना चाहिए वह हम जानते नहीं हैं ,और हम जो जानते हैं वह सच नहीं है , हमको जो पढ़ाया जाता है वह ज्ञान नहीं है वह तो इस दुनियां में परिवार व स्वयं का भरण पोषण करने की शिक्षा है जो हमको दी जाती है , लेकिन हम कौन हैं हमारा जन्म किस लिए हुआ हमारा असली रूप क्या है हम नहीं जानते , हम तो केवल धन के पीछे भाग कर सारा जीवन यूं ही गवां देते हैं अंत में मौत आने पर असीम वेदना महसूस करते हैं कि हमने अपना जीवन व्यर्थ में गवां दिया ! अपने सोचा है कभी कि ईश्वर है यह तो सभी कहते हैं लेकिन है कहां ये सवाल जरूर मन में आता है, जबकि, हवा, पनी, आसमान, सूर्य, चांद, तारे ये सब कुछ ईश्वर के अस्तित्व का प्रमाण हैं , यहां समझने की जरूरत है यदि आप सुख चाहते हैं तो उसका प्रतिद्वंदी दुख है जो कि सामने आयेगा क्यों कि यहां पर द्वंद युद्ध है रात के साथ दिन है, अंधकार के साथ प्रकाश है, यदि आप मुक्ति चाहेंगे मतलब आप को बार बार दुनियां में ना आना पड़े तो मोह आपको सामने नजर आयेगा जैसे आप देखते हैं आज साधु सन्यासी आप सभी को धर्म का मार्ग दिखाने व मोह माया को छोड़ने की बात करते हैं लेकिन बैंको में सबसे अधिक इनका बैलेंस होता है या नहीं आप खुद सोचे ? आज बड़े बड़े स्वामी जो करोड़ पति हैं वे आपको माया मोह से मुक्त कैसे कर सकते हैं ? इस दुनियां की रचना ही विरोधाभाव से ईश्वर ने की है , जब आप शांति की तलाश करते हैं तो अशांति आपके विरोध में सामने नजर आती है , तो फिर क्या करना चाहिए ? एक ही उपाय है आप सम भाव हो जाएं हर परिस्थिति में सम हो जाए आप सुख दुख , शांति अशांति सभी में खुश रहें तब देखिए आप स्वयं को कितना शांत पाते हैं !


मात्र केवल आत्मा ही जानने और पाने योग्य है। हम उस 'एक' को खोकर सब कुछ गँवा बैठते हैं। सपनों को पकड़ते हैं और पकड़ भी नहीं पाते। रात सपने में देखा कि करोड़पति हो गए, मगर सवेरा होते ही देखते हैं कि मुट्ठी ख़ाली-की-ख़ाली है। इसी प्रकार जीवन में देखा कि हम यह हो गए हैं, हम वह हो गए हैं, लखपति हो गए, एम् एल ए बन गए, मंत्री बन गए, मगर मृत्यु के समय पता चलता है कि मुठ्ठी ख़ाली-की- ख़ाली है।_



       सब सपना-सपना-सा लगता है। योग की दृष्टि में सपने का मतलब सिर्फ इतना ही है कि जहाँ-जहाँ परिवर्तन है, वहां-वहां 'सत्य' नहीं है।



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