हमारा अपनी ही इन्द्रियों पर नियंत्रण ना होने का परिणाम! (कुट्टू के आटे की पूड़ी)
रिपोर्ट मुकेश राणा!
स. संपादक शिवाकांत पाठक!
हरिद्वार
चैत्र नवरात्र की शुरुआत शनिवार से हो गई है। नवरात्र में अधिकतर लोग व्रत के दिन कुट्टू के आटे के पकवान खाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे फलाहार में गिना जाता है। लेकिन हमेशा की तरह इस बार भी कुट्टू के आटे ने लोगों को अस्पताल पहुंचा दिया है। सिर्फ हरिद्वार में नवरात्र के पहले दिन कुट्टू का आटा खाने के बाद करीब 100 लोग बीमार हो गए हैं। जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। प्रशासन एलर्ट मोड पर हो गया ! पहले नही अब आ गया है , क्यों भाई पहले क्यों नहीं आया पहले आ जाता तो लोग बीमार ही नहीं पड़ते है ना जायज बात ,, लेकिन यह बताओ अच्छे भले आदमी को दवा खिलाई जाए तो क्या वह खाएगा ? नहीं खाएगा बस इसीलिए प्रशासन पहले से प्रतिबंध क्यों लगाए आटे पर ! भाई खाने पीने की चीजें हैं लोग तो खाएंगे ही फिर यह घटना तो पुरानी है कई सालों से हो रही है कभी दिल्ली में कभी मेरठ में कभी कहीं हो ही जाती है,,, है ना यही बात ! वैसे भी तुलसीदास जी महराज ने लिखा है "होई है वही जो राम रच रखा ! कोउ कह तर्क बढ़ावै शाखा !! मतलब होगा वही जो ईश्वर ने पहले से ही सुनिश्चित कर रखा है तो भाई ये बताओ ईश्वर से बढ़कर प्रशासन है क्या ?
अब बात ईश्वर की ही कर लो मान लिया कि आप व्रत रखते हैं अच्छी बात है व्रत रखना भी जरूरी है लेकिन व्रत का अर्थ क्या है व्रत का मायने तो गोला होता है 0 👈 यानी कि अपना ध्यान संयम के साथ केंद्रित करें वह भी ईश्वर में सिर्फ ईश्वर यानी जो भी आराध्य देवी देवता हो उसमे अपना ध्यान केंद्रित करें , लेकिन लोगों का ध्यान तो कुट्टू के आटे की पूड़ी, कचौड़ी, हलवा, खीर में लग गया जब कि व्रत तो त्याग से ही सफल हो सकता है आप ईश्वर के लिए क्या त्याग सकते हैं यही सोचने की बात है आप स्वाद का परित्याग नहीं कर सकते क्या जरूरी है व्रत में पकवान खाना
स्पष्ट है कि व्रत अपने अपने मन की कामनापूर्ति के लिए रखा है जब मन ने जो कहा आप खाने लग गए!
आप त्याग कर के तो देखिए ईश्वर एक पल में प्रकट होंगे , क्या हमारे धार्मिक ग्रंथ यह नहीं बताते कि सूखे पत्ते खाकर मां पार्वती ने शिव को पाने के लिए तपस्या की !
बाद में फिर निराहार रहकर भी तप किया तब भगवान शिव प्रसन्न हुए ! मेरा कहने का तात्पर्य यह है कि यह कुट्टू का आटा धार्मिक ग्रंथो में उल्लेखित नहीं है आप अन्न, नमक , तेल आदि का परित्याग करें दूध, फल आदि का सेवन करें तो ही व्रत रखने का फल प्राप्त होगा!
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