विष दे देना मेरे प्रियवर पर झूठा विश्वास न देना!
पूर्ण कर सको तुम ना जिसको,, ऐसी कोई आश ना देना!!
विष दे देना मेरे प्रियवर पर झूठा विश्वास न देना,,,,
पंच तत्व से बना जिस्म उन तत्वों में मिल जायेगा!
ना कुछ लेकर आया पगले ना कुछ लेकर जायेगा!!
सत्कर्मों का लेखा जोखा तेरे संग जाना है!
जो बोया है उसे काटने फिर तुझको आना है!!
जीवन में ना बुझे कभी तुम ऐसी कोई प्यास ना देना,,,
विष दे देना मेरे प्रियवर पर झूठा विश्वास न देना!
मानव होकर यदि मानव के काम नहीं तुम आए!
सबमें वही समाया है यह भेद समझ ना पाए!!
तीनों लोकों में बजता था जिस रावण का डंका!
धू धू कर जल उठी एक दिन वो सोने की लंका!!
देना जहर भले कड़ुआ हो, झूठी कोई मिठास ना देना,,,
विष दे देना मेरे प्रियवर पर झूठा विश्वास न देना!
स्वरचित मौलिक रचना
स.संपादक शिवाकांत पाठक
वी एस इण्डिया न्यूज चैनल दैनिक विचार सूचक समाचार पत्र सूचना एवम प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त परिवार हरिद्वार उत्तराखंड
कार्य क्षेत्र संपूर्ण भारत
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