क्या किसी ज़िम्मेदार ने महसूस किया है आन्नेकी पुल की वास्तविकता,,,? विष्णु का हृदय धरम नगरी हरिद्वार!
संपादक शिवाकांत पाठक!
आज दिनांक 04/08/2023,, के वास्तविक चित्र देखिए
गौर से देखिए,, यह आज का दृश्य आपके सामने है,, याद रखना यदि किसी भी मां से उसका बच्चा आपकी थोड़ी सी भूल के कारण सदा के लिए छिन सकता है,,
आन्नेकी पुल सिर्फ तमाम बेरोजगारों की आजीविका तक सीमित नहीं है बल्कि हमारे देश के भावी भविष्य कहलाने वाले तमाम छात्र छात्राओं के शिक्षा अध्यन में बहुत बड़ा व्यवधान साबित हो रहा है,, पुल के सौ कदम आगे ग्राम आन्नेकी में एक सी बी एस सी बोर्ड द्वारा संचालित आर्यन हेरिटेज स्कूल भी है जिसमें कि सैकड़ों छात्र छात्राएं प्रतिदिन शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं,, लेकिन पुल के क्षति ग्रस्त होने के कारण उन्हें नदी के बहाव को पार कर स्कूल जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है,,
सोच कर देखना कि जो बच्चे सुबह स्कूल गए हों और अचानक ही भयानक वारिश के कारण नदी उफान पर आ जाए,, तो वे बच्चे घर वापस कैसे आयेंगे,, उनके माता पिता पर उस समय क्या गुजरेगी,, और विधाता ऐसा न करे, यदि वापस घर लौटते समय नदी के बहाव को न समझते हुए यदि बच्चे पार करें तो कुछ भी हो सकता है,, क्या यह सभी बाते मानवीय संवेदना से जुड़ी नहीं हैं,, यदि हैं तो फिर ज़िम्मेदार लोग दूरगामी सोच के अनुसार यह कैसे कह देते हैं कि 10 अगस्त तक अस्थाई पुल निर्माण कार्य पूरा हो, जबकि जिस मंद गति से कार्य हो रहा है उसमें भविष्य से अनभिज्ञता स्पष्ट झलक रही है,,
जाएगा,,👇
बता दें की ये पुल सरकार द्वारा मात्र एक औपचारिकता के तौर पर बनाया गया था, क्योंकि पिछले पंन्द्रह साल पहले जब ये पुल बना था तब से ही इसकी हालत खराब चली आ रही हैं, यानी कि आवागमन बडी गाड़ियों के लिए ज्यादातर बंद रहा है,, पुल के दोनों छोर पर रुकावट के लिए खेद हैं के बोर्ड लगे हैं, वह खेद पिछले पंन्द्रेह वर्षो से चला आ रहा हैं, पुल की चौड़ाई की अगर बात करें तो बस इतनी चौड़ाई हैं की एक तरफ से एक ही गाडी पास ही सकती हैं, जबकि ये एक मात्र पुल हैं जो बाबा रामदेव के योग ग्राम को हरिद्वार शहर से जोड़ता हैं, साथ बिहारी गढ़ की तह तक पहुंचाने वाला सेतु साबित होता है फिर क्यों सरकार ओर प्रसाशन इसे शोतेले पुत्र की भांति मानता हैं न तो इस पुल पर सरकार का कोई विशेष ध्यान रहा हैं ओर न ही प्रसाशन का, ज़ब भी इस पुल मे कोई दरार आती हैं, तो ग्रामीणों की लाख कोशिशो के बाद ही वो ठीक हो पाती हैं,, पुल निर्माण में गुणवत्ता के साथ हुई छिछोड़ी हरकतें वर्तमान के बिकास की पोल खोलने के लिए काफ़ी हैं,,
आपको ये भी बता दें की ज़ब भी कोई ठेकेदार इस पुल की मरम्मत करता हैं तो वो भी मरम्मत के नाम पर भर भर मलाई चाटता हैं, जबकि उस मलाई की मिठास ओर भी न जाने कहाँ कहाँ पहुँचती हैं।
समाचारों हेतु सम्पर्क करें,,9897145867
Comments
Post a Comment