पुलिस की नाक तले,,, आखिर क्या साबित करते हैं ऐसे लेख,,? हरिद्वार!




( पत्रकारिता के अतिक्रमण पर तुरंत ध्यान आकृष्ट करे प्रशासन ,, राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव पत्रकार कल्याण समिति)



स.संपादक शिवाकांत पाठक!



रिपोर्ट दीपक नौटियाल ब्लॉक संवाददाता,,आप सभी ने ऐसे कई समाचार देखे या पढ़े होंगे कि पुलिस की नाक तले,, थाने की नाक तले,, मुख्यालय की नाक तले , प्रशासन की नाक तले ,,, हो रहे हैं अवैद्य कार्य,,, ऐसे तमाम लेख, समाचार केवल लोगों का ध्यान केंद्रित कराने हेतु लिखे जाते हैं लेकिन ऐसे लेख संकुचित मानसिकता का अनूंठा उदाहरण प्रस्तुत करते हैं,, क्यों कि पत्रकारिता का भी अतिक्रमण अवैद्य कार्यों में लिप्त लोगों द्वारा किया जाएगा ऐसा कभी भी सोचा ही नहीं गया,, तमाम अवैद्य वसूली व कामों में लिप्त लोगों ने पत्रकारिता को अपना सुरक्षा कवच बना कर राष्ट्र एवम समाज को एक गलत संदेश दिया है,,


प्रशासन या पुलिस प्रशासन की नाक तले का अर्थ है क्या है कभी आपने सोचा है,,,? देश की आंतरिक व्यवस्था की सुदृढ़ सुरक्षा हेतु पुलिस प्रशासन का अभ्युदय हुआ एवम  जिला प्रशासन भी हम सभी को समस्यायों से मुक्त कराने हेतु तत्परता से कार्य करता है साथ शासन की तमाम योजनाओं को लागू कर हमे लाभान्वित कराता है ,, हम अपने घरों में सुकून चैन की नींद इसलिए सोते हैं क्यों कि कोई जाग रहा होता है ,, वह कौन है जो तुम्हारे सोने के लिए ही जागता है,, उसी को पुलिस प्रशासन  कहते हैं और रही बात जिला प्रशासन की तो आधी रात को भी जिला प्रशासन अपने सुखों को त्याग कर घटना स्थल पर पहुंचकर समस्यायों को सुलझाता है,,तो फिर वह तो तुम्हारी अपनी नाक है ,, जिसका जीवन ही तुम्हारे लिए है और हमारे तुम्हारे बीच से ही प्रखर बुद्धिमान लोग होते हैं जो प्रशासन का कार्यभार संभालते हैं,, तो फिर नाक के तले क्या हो रहा वह आप की ही नाक होती है,, साथ ही पुलिस या प्रशासन कोई जादूगर नहीं होते जो आंखे बंद करके सारा हाल जान लें,, हम सभी की अहम जिम्मेदारी बनती है कि हम प्रशासन का सहयोग करें ताकि तमाम सवालों का जवाब खुद ही निकल सकता है,,

लेकिन कतिपय लोग केवल प्रशासन या पुलिस को निशाना बनाकर वाहवाही लूटने की आदत का शिकार हो चुके हैं,, एक सज्जन लिखते हैं थाने की नाक तले स्मैक बिकवाई जा रही है, तो दूसरे सज्जन और शरीफ लोग कहते हैं कि सिटिल मेंट होने के बावजूद दरोगा जी ने चार्ट सीट लगा दी हम तो मुकदमा दायर कर देंगे,, तमाम लोग तमाम बातें करते हैं लेकिन सभी अपने अपने मतलब को ध्यान में रखकर ही सारी भड़ास निकालने का काम कर रहे हैं,, सत्य क्या है एक नजर डालते हैं,,


पत्रकारिता का अपराधीकरण होने के बावजूद जिला सूचना आधिकारी एवम प्रशासन ने गौर नहीं किया कि इस क्षेत्र में भी बेहद ध्यान देना जरूरी है,, मोटर साइकिल हो या कार या स्कूटी पर यदि प्रेस लिखा है तो सच्चाई जानना जरूरी है,, जिस प्रेस का नाम लिखा है उसका आई कार्ड उसके पास होना आवश्यक होता है,, आई कार्ड में आर एन आई नंबर है या नहीं,, और क्या है RNI रजिस्ट्रेशन ? RNI का मतलब है “( Registrar of Newspaper of India )” , यानी कि भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार का कार्यालय जो भारत के समाचार पत्रों के रजिस्ट्रार (आरएनआई) के रूप में जाना जाता है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा यदि आर एन आई नंबर प्रदत्त नही है तो फिर वह संदेह के घेरे में साथ ही उसके दैनिक या साप्ताहिक, पाक्षिक अखबार की प्रति सूचना विभाग देहरादून या हरिद्वार में संलग्न है या नहीं,, इस पर गौर करते हुए तमाम सवालों का जवाब स्वयं निकल सकता है,,


समाचारों हेतु सम्पर्क करें,,9897145867 


दैनिक विचार सूचक समाचार पत्र सूचना एवम प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त उत्तराखंड सरकार द्वारा विज्ञापन हेतु अधिकृत,,, वी एस इन्डिया न्यूज परिवार हरिद्वार उत्तराखंड 

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