जो तुमने बोया है वही काटोगे यही विधि का विधान है!( अध्यात्म ) स.संपादक शिवाकांत पाठक!

 


बाबा गो स्वामी तुलसी दास जी महराज लिखते हैं कि ""ईश्वर अंश जीव अविनाशी "" यानी कि जिस प्रकार से ईश्वर अविनाशी है उसी तरह से जीव भी अविनाशी है,, जिसका कभी विनाश नहीं होता,, विनाश तो शरीर का होता है जीव का नहीं जीवात्मा और परमात्मा का बहुत गहरा रिश्ता है,, ईश्वर ने अपनी मर्जी से स्वयं को संसार का रुप दे दिया,, वेदों में वर्णन मिलता है,, ईश्वर सोचता है कि एको अहम बहुष्यामि,, अर्थात मैं एक से अनेक हो जाऊं,, यह उस परमात्मा ने कल्पना की,,



यहां पर लक्ष्मण जी मां सीता से क्या कहते हैं देखिए ईश्वर की शक्ती का एक उदाहरण प्रस्तुत किया गया है,, क्यो कि लक्ष्मण प्रभु राम की शक्ती को जानते हैं,,


सीता मां कहती हैं कि लक्ष्मण शीघ्र जाओ तुम्हारे भाई संकट में हैं,,,,



जाहु बेगि संकट अति भ्राता। लछिमन बिहसि कहा सुनु माता॥

भृकुटि बिलास सृष्टि लय होई। सपनेहुँ संकट परइ कि सोई॥



भावार्थ:- मां सीतालक्ष्मण से कहती हैं तुम शीघ्र जाओ, तुम्हारे भाई बड़े संकट में हैं। लक्ष्मणजी ने हँसकर कहा- हे माता! सुनो, जिनके भ्रृकुटि विलास (भौं के इशारे) मात्र से सारी सृष्टि का लय (प्रलय) हो जाता है, वे श्री रामजी क्या कभी स्वप्न में भी संकट में पड़ सकते हैं?॥


लेकिन होना वही था को विधाता चाहता था इसलिए लक्ष्मण को जाना पड़ा,, लेकिन अब यहां पर गौर करने की बात यह है कि लक्ष्मण जाने से पहले एक रेखा खींचते हैं और मां सीता से कहते हैं कि इसके बाहर मत जाना,, क्यो कि वह भयावह जंगल था तमाम मायावी शक्तियां वहां पर मौजूद थीं,,


होनी को तो होना ही था क्यों कि राम का अवतार ही रावण का विनाश करने हेतु हुआ था,, लेकिन यहां स्पष्ट होता है कि शक्ति, धन, वैभव का अभिमान मनुष्य को अंधा बना देता है, रावण शक्ति शाली था, त्रिकालज्ञ था,, चारो वेदों का ज्ञाता था लेकिन अभिमान वश वह यह नहीं जान सका कि जिस राम लक्ष्मण को वह राजा दशरथ का पुत्र और वनवासी समझता था, आज उसी वनवासी लक्ष्मण के द्वारा खींची गई रेखा को लांघने में रावण ने खुद को असमर्थ पाया,, वह उस रेखा को लांघ नहीं सका,, और अभिमान वश अपनी शक्तिहीनता को भी नही समझा,, सत्य तो यही है कि उसी क्षण उसकी मृत्यु निश्चित हो चुकी थी,,

मृत्यु एक ऐसा अकाट्य सत्य है जिसे धन वैभव पद प्रतिष्ठा आदि से जीत नहीं सकते,, जिनके लिए आप धर्म और सत्य के मार्ग को छोड़ कर धन कमाने हेतु तमाम पाप कर रहे हैं वे ही आपको अंतिम संस्कार के चंद दिनों बाद भूल जायेंगे,, और कर्मों का परिणाम आप स्वयं भुगतेंगे,,, यह अकाट्य सत्य है,,,


आज धन, वैभव, पद प्रतिष्ठा पाकर लोग अभिमान में चूर होकर अपने वास्तविक अस्तित्व को भूल जाते हैं,, जिस ईश्वर की बिना मर्जी के वे सांस नहीं ले सकते उसे भी अपने सामने कुछ भी नहीं मानते,, तो सोचो जिस ईश्वर ने तुम्हे पैदा होने से पहले मां के आंचल में दूध का इंतजाम इसलिए किया था क्यों कि तुम्हारे दांत नहीं थे,, और जब दांत निकल आए तो उसने तुम्हारे भोजन का इंतजाम किया,, बिना उसकी मर्जी के तुम दुसरी सांस नहीं ले सकते,, साथ ही जन्म और मृत्यु का नियम सभी के लिए एक जैसा है फिर भी तुम उस परम पिता परमेश्वर को अपने स्वार्थ से याद करते हो,, क्या यह बुद्धिमान व्यक्ति की पहचान है,, जिसने तुम्हारे लिए जमीन आसमान, सूरज, चांद, सितारे,, पेड़ पौधे, प्रथ्वी को बनाया तुम उसके नहीं हुऐ तो तुम्हारी संताने तुम्हारी कैसे हो सकती हैं,,,,? सावल भी तुम हो और जवाब भी तुम,,!




समाचारों या लेख कविता गजल हेतु सम्पर्क करें,,9897145867

Comments

Popular posts from this blog

कैसे बचेगी बेटियां,? नवोदय नगर में दिन दहाड़े प्रेमी ने गला रेत कर कर दी हत्या,! हरिद्वार,!

फुटबॉल ग्राउंड फेज 1 जगजीतपुर कनखल थाना क्षेत्र में घर में घुसकर बदमाशों द्वारा की गई मारपीट,,,!हरिद्वार,!

नवोदय नगर में घटी बहुत ही दुखद घटना!