जहां द्रौपदी बीच सड़क पर कृष्ण कृष्ण चिल्लाती है!

 


मानवता की छोड़ो बातें दानवता शर्माती है!!


शिक्षा से वंचित बच्चों को भीख मांगते देखा है!


सब कुछ सह कर चुप रहना ही शायद लक्ष्मण रेखा है!!


जो बच्चे हिन्दी में बातें कर के मान बढ़ाते हैं!


लोगों के अनुसार वही तो निम्न वर्ग कहलाते हैं!!


चोर उचक्कों और लुटेरों का बजता डंका है!


चश्मा छोड़ो नजर उठाओ यदि कोई शंका है!!


जहां लिखा है सत्य मेव जयते रिश्वत को देखा है!


राष्ट्र प्रेम रूपी चोले को क्यों उतार फेंका है!!


पलक झपकते हुई जमानत अपराधी आवारा!


 परिवर्तन है नियम प्रकृति का बदलें नियम दुबारा!!


स्वरचित मौलिक रचना


शिवाकांत पाठक उत्तराखंड


विचारों की अभिव्यक्ति 


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