संत शंकरानंद सरस्वती के हमलावार यदि गिरफ्तार नहीं किए गए तो अंजाम भुगतने होंगे! देवेन्द्र प्रजापति( शिवसेना गढ़वाल मंडल प्रमुख )
संत के हमलावर गिरफ्तार ना होने पर उत्तराखंड के संतो में आक्रोश देखा गया, यह बी जे पी के लिए चुल्लू भर पानी में डूब कर मरने वाली बात है,,,!देवेन्द्र प्रजापति गढ़वाल मंडल प्रमुख ,,
देवेंद्र प्रजापति संस्थापक विष्व हिन्दू संस्था एवम शिवसेना गढ़वाल मंडल प्रमुख,,ने कहा कि सरकार यह भूल गई है कि भारत देश सनातन हिन्दू धर्म का संस्थापक देश है,, सारा विष्व मानता है,,जो प्राचीन काल से ऋषि मुनियों की तपो भूमि के नाम से जाना जाता है,, जब भी एक जुट होकर भारत के संत अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहेंगे,, उसी क्षण संतो का स्वामित्व जो सदा से रहा है और फिर स्थापित हो जायेगा इस बात पर स्वामी शुकदेवानन्द योगी,, परमेश्वर दास ,,कीर्त दास महराज ,, हरी मोहनदास जी ने स्वामी प्रकाशानंद जी ऋषिकेश ने समर्थन किया ,, और कहा कि संतो पर हमला करने वाले लोग यदि शीघ्र ही गिरफ्तार नहीं हुए तो भविष्य स्वयं प्रमाण प्रस्तुत करेगा,
गौर से देखिए कि सनातन संस्कृति एवम सभ्यता को उत्थान की ओर ले जाने वाले स्वामी शंकरानन्द सरस्वती उत्तरकाशी जो कि बच्चों को वेद, शास्त्रों का ज्ञान देते हैं इनपर किस तरह से अतिक्रमण का विरोध करने पर हमला किया गया,, और धारा 307 में चार आरोपियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज होने के बावजूद हमलावर बेखौफ घूम रहे हैं ,,,, क्या वास्तव में इसे आप राम राज कहते हैं
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एक भेंट के दौरान श्री कृष्ण हरि धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत श्री प्रेमानंद शास्त्री जी ने कहा कि तुष्टी करण की राजनीति के चलते वर्यमान सरकार संतो की सुरक्षा के प्रति उदासीन नजर आ रही है,, श्री शास्त्री जी ने कहा कि उत्तर काशी में संत शंकरानन्द सरस्वती जी को एक होमगार्ड के साथ तीन लोगो द्वारा जान लेवा हमला किया गया था,, स्वामी दामोदरा चार्य द्वारा किए गए अकथ प्रयासों से मुकदमा दर्ज किया गया लेकिन अभी तक केवल एक आरोपी को ग्रिफ्तार किया गया होमगार्ड की पक्षधर बनी पुलिस धाराएं कम करने का कुचक्र रच रही है जो कि बेहद दुखद बात है,, इस बात से जाहिर होता है कि कथनी और करनी दोनो में अंतर है,, श्री शास्त्री जी ने कहा कि यदि संत के हमलावरों को शीघ्र ही गिरफ्तार नहीं किया गया तो समस्त संत अपनी अध्यात्म शक्ती द्वारा विरोध प्रदर्शन करने हेतु विवश होंगे! साथ ही ऋषिकेश के महान तपस्वी स्वामी प्रकाशनंद महराज ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की
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