संकट कटे मिटे सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा! महंत श्री प्रेमानंद शास्त्री हरिद्वार!

 




संपादक शिवाकांत पाठक!



( सत्य सनातन धर्म क्यों है श्रेष्ठ ,,,? )


वी एस इंडिया न्यूज परिवार के संपादक शिवाकांत पाठक से एक भेंट के दौरान महंत श्री प्रेमानंद शास्त्री जी हरिद्वार ने हनुमान जी महराज की भक्ति पर प्रकाश डालते हुए बताया कि,,हनुमान चालीसा की इस चौपाई के पाठ से गुरुकृपा होती है

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।

बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।

अर्थ -गुरु महाराज के चरण.कमलों की धूलि से अपने मन रुपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे।


हनुमान चालीसा की इस चौपाई से बल बुद्धि और निरोगी काया

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन कुमार।

बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।

अर्थ-हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन.करता हूँ। आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सदबुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए।


हनुमान चालीसा की इस चौपाई से हनुमत कृपा मिलती है

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥1॥

अर्थ - श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों,स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।


हनुमान चालीसा की इस चौपाई से शारीरिक और आत्मिक बल की प्राप्ति होती है

राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥

अर्थ- हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नही है।


हनुमान चालीसा की इस चौपाई से बुरी संगत से छुटकारा और अच्छे लोगो का साथ मिलता है

महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥

अर्थ- हे महावीर बजरंग बली! आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी, सहायक है।


हनुमान चालीसा की इस चौपाई से आर्थिक समृद्धि अच्छा खानपान, संस्कार और पहनावा प्राप्त होता है

कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥

अर्थ- आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।


हनुमान चालीसा की यह चौपाई विजय दिलाती है

हाथ ब्रज और ध्वजा विराजे, काँधे मूँज जनेऊ साजै॥5॥

अर्थ- आपके हाथ मे बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।


हनुमान चालीसा की इस चौपाई से प्रताप बढ़ता है

शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥

अर्थ - हे शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन! आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर मे वन्दना होती है।


हनुमान चालीसा की इस चौपाई से ज्ञान, बुद्धि और त्वरित बुद्धि

विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥7॥

अर्थ - आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है।


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