आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था हो या वाह्य दोनो सराहना के काबिल हैं या नहीं,,,? स.संपादक शिवाकांत पाठक !




 संपादक शिवाकांत पाठक 


भारतीय संविधान में देश को सुरक्षित रखने हेतु सुरक्षा व्यवस्था के तहत सीमा पर सैनिक मतलब आर्मी या फिर यूं कहें कि भारतीय सेना , जल, थल, वायु मार्गों पर तैनात की गई हैं साथ ही आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था में प्रत्येक राज्य में पुलिस विभाग द्वारा जारी सुरक्षा व्यवस्था आम जन मानस को पुरी तरह से सुरक्षा प्रदान करती है,, आज भारत का प्रत्येक व्यक्ति घरों में चैन की नींद इन्ही दोनो सुरक्षा कवचों की दम पर सोता है,, दोनो विभागों को अनुशासन बनाए रखने हेतु योग्य अधिकारी नियुक्त किए जाते हैं,, उन अधिकारियों की कार्यशैली , कर्तव्य निष्ठा के अनुसार उनका प्रमोशन समय पर किया जाना भी व्यवस्था का एक हिस्सा है ,, प्रमोशन की प्रक्रिया सरकार द्वारा अच्छे कार्य करने की प्रशंसा को दर्शाती है ,, अब थोड़ा गौर करें भारतीय संविधान में भारत देश की जनता को , स्वास्थ्य, न्याय, शिक्षा के अलावा रोजगार , एवम आम जनता की तमाम समस्यायों की पूर्ति हेतु तमाम योजनाएं एवम विकाश कार्यों को संपादित किया जाता है,, लेकिन आप यदि शिक्षा विभाग में जाकर कहें कि हमारे मकान के सामने हमारे पड़ोसी द्वारा बेहद पानी का दुरुपयोग किया जा रहा जिससे जलभराव के कारण हमको तकलीफ हो रही है, तो वह आप की बात नहीं सुनेंगे, और कहेंगे कि आप सम्बन्धित विभाग में जाएं मान्यवर,,,

लेकिन यहां थोड़ा गौर करें,, एक जलभराव ही नहीं बल्कि खेत में जानवर घुसने से लेकर रास्ते में बेहूदे इशारा करने की शिकायत भी आप पुलिस विभाग से करने का अधिकार रखते हैं,, कितना बड़ा है आपका अधिकार क्षैत्र,, या फिर यूं कहिए कि पुलिस का कार्य क्षैत्र ,, जिसकी अच्छाइयों को अनदेखा कर कुछ महान बुद्धिमान सदैव टीका टिप्पणी में तत्पर रहते हैं,, क्या कभी सोचा है आपने कि सभी धर्मो को भारत देश में अपने अपनें त्योहार मनाने, पूजा अर्चना करने का समान अधिकार है क्यों कि भारत ही एक धर्म निरपेक्ष लोकतंत्रात्मक देश है,, अन्य देशों  में ऐसा नहीं है,, लेकिन पुलिस या सेना के जवान देस की सुरक्षा के लिए महत्व पूर्ण पर्वों पर अपने घर नहीं जाते,, उनके परिवार आप सभी लोग साबित होते हैं,, लेकिन इस श्रेष्ठ बलिदान को अनदेखा कर आप इनमें कमियां देखने के आदी होते जा रहे हैं,, क्यों,, सच तो यही है कि श्रष्टि की सरंचना के साथ ही अपराधियों और परोपकारी लोगों का समावेश रहा है क्यों कि गुण और अवगुण दोनो को मिला कर ही इस संसार की रचना ईश्वर ने की है,, जिसका उदाहरण प्राचीन धार्मिक ग्रंथ श्री राम चरित मानस में मिलता है,,,

भलेउ पोच सब बिधि उपजाए। 

गनि गुन दोष बेद बिलगाए।।

कहहिं बेद इतिहास पुराना।

बिधि प्रपंचु गुन अवगुन साना।। 

 

भले, बुरे सभी को ब्रह्मा जी ने उत्पन्न किया है, पर गुण और दोषों को विचार कर वेदों ने उनको अलग-अलग कर दिया है. वेद, इतिहास और पुराण कहते हैं कि ब्रह्मा की यह सृष्टि गुण-अवगुणों से सनी हुई है.


अब यह हमारे विवेक पर निर्भर करता है कि हम किसी भी व्यक्ति, समाज, विभाग में बुराई देखें या अच्छाई,, 


लेकिन याद रखें रात्रि हो या दिन जब भी आप सुरक्षा को लेकर किसी भयानक मुसीबत में खुद को अकेला महसूस करेंगे वहां पर एक बार जरूर आपको आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था याद आयेगी,, क्यों कि यही ध्रुव सत्य है, बाकी मैं किसी का पक्षधर या विरोधी नहीं हूं,, सच को सामने रखना मेरा फर्ज बनता है,, जिसे निभा रहा हूं,,,🙏🙏🙏🙏


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