क्या वास्तव में आप इसे रामराज्य मानते हैं ,,? स्वामी दामोदराचार्य (एकम सनातन भारत दल )

 



बड़ा सवाल,, संत की मारपीट करने वाले धारा 307 के आरोपी होम गार्ड की तीन महीने में अब तक गिरफ्तारी क्यो नहीं,,,?









एकम सनातन भारत दल के संत प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी दामोदराचार्य ने संतो पर होने वाले प्राण घातक हमलों की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए बताया कि उत्तरकाशी जनपद के ग्राम गोरशाली पट्टी थाना मनेरी में भारत के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों को वेद अध्यन कराने वाले संत पर जान लेवा हमला होने पर एफ आई आर दर्ज न होना इसके बाद सचिवालय जाकर जब मैने न्याय की पहल की तब एफ आई आर दर्ज होना साथ ही धारा 307 विशेष अपराध होने के बावजूद  चार अभियुक्तों में अभी तक एक का ही पकड़े जाने का अर्थ यदि हिंदुत्व वादिता है तो फिर हिंदुत्व विरोधी की परिभाषा क्या है,,? स्वामी दामोदराचार्य ने कहा कि हिन्दू धर्म की स्थापना, प्रचार, एवम रक्षा में संतो की अहम भूमिका को नकारा नहीं जा सकता , लेकिन आज संतो पर होने वाले अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाने में लोगों के अंदर व्याप्त भय ही वर्तमान सरकार की कार्य प्रणाली पर बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह सबित हो रहा है ,, सनातन धर्म की नींव सिर्फ संत हैं यादि उन्ही पर हमला करने वाले लोग बेखौफ होकर कानून की धज्जियां उड़ाते हुए दिखें तो आप कैसे राम राज्य साबित कर सकते हैं,, श्री आचार्य ने कहा कि ,, दैहिक दैविक भौतिक तापा राम राज काहू नहि व्यापा,, यह राम राज्य का उदाहरण हमारी राम चरित मानस में मिलता है,, अब आप अपने विवेक से सोचे कि वर्तमान समय पर क्या दैहिक,, शरीर में उत्पन्न होने वाली तमाम बीमारियां,, दैविक,, दैवीय अपदायें,, भौतिक सांसारिक जीवन के लिए अनिवार्य धन का पर्याप्त मात्रा में न होना आदि सभी विषयों पर आप चिंतन करें ,, फिर बाद में आगे विचार कर कदम बढ़ाएं,, ताकि सनातन धर्म विलुप्त होने से बच सकें,, उन्होने कहा कि एकम सनातन भारत दल पूर्ण रूप से हिंदुत्व का शंखनाद करता है,, दिखावा नहीं,, श्री आचार्य ने कहा कि दबंग किस्म के अपराधियो द्वारा जानलेवा हमला किए जाने पर,थानाध्यक्ष मनेरी जिला उत्तरकाशी के प्रार्थी,स्वामी शंकरानंद सरस्वती गुरु स्वामी शिवस्वरूपानंद सरस्वती,ग्राम गोरशाली पट्टी टकनौर,जिला उत्तरकाशी द्वारा एक शिकायती पत्र दिनांक 07/08/2023 को देते हुए हवाला दिया कि दिवाकर नौटियाल पुत्र श्री गिरधारी प्रसाद नौटियाल, पवना देवी पत्नी श्री दिवाकर नौटियाल ,, दुर्गेश नौटियाल पुत्र दिवाकर नौटियाल, सुदेश नौटियाल पुत्र दिवाकर नौटियाल

सभी एक ही परिवार के सदस्य ग्राम गोरशाली पट्टी टकनौर तहसील भटवाड़ी जिला उत्तरकाशी के निवासी हैं ,जबकि प्रार्थी एक साधु सन्यासी है जो कि ग्राम गोरशाली में बच्चों को वेद शिक्षा विद्यालय संचालित करता है। उपरोक्त सभी मुलजिम दिनांक 31 / जुलाई / 2023 समय तकरीबन 05 बजकर 45 मिनट शाम को प्रार्थी के आश्रम के बाहर एक ही परिवार के 04 सदस्य द्वारा प्रार्थी को जान से मारने हेतु पत्थर व डण्डो से हमला किया गया साथ ही गाली गलौच के साथ मारपीट के वक्त प्रार्थी को आश्रम से मारते-मारते रास्ते पर बेहोशी की स्थिती में छोड़ने के पश्चात वहां से भाग गये। तत्पश्चात 108 द्वारा पुलिस के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भटवाड़ी लाया गया। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भटवाडी ने प्रार्थी की गम्भीर स्थिती को देखते हुये उत्तरकाशी जिला अस्पताल में रेफर किया गया उसके बाद उत्तरकाशी जिला अस्पताल ने भी प्रार्थी को देहरादून दून अस्पताल में रेफर किया गया।जबकि प्रार्थी इतने समय तक बेहोशी की स्थिती मे रहा। मुलजिमी द्वारा पूर्व मे भी इस तरह का हमला किया गयाथ। जिसकी सूचना पूर्व में भी शासन प्रशासन को दी गई थी मुलजिम लोग उन्मत प्रवृति के दबंग लोग हैं जो आश्रम पर जाते जाते वक्त गॉली गलीच व पत्थर फेंकने का कार्य करते रहते है।


देखिए विडियो किस तरह से धर्म की रक्षा एवम प्रचार करने वाले संत को पीटा जा रहा है





स्वामी जी महाराज ने शिकायती प्रार्थना पत्र के माध्यम से निवेदन किया कि मुलजिमों के खिलाफ हत्या की साजिश को देखते हुये  कठोर से कठोर कार्यवाही करते हुये मुलजिमों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की जाए! लेकिन एफ आई आर दर्ज नहीं होने पर काफी प्रयास करना बेहद सोचनीय पहलू है,,



उन्होने कहा कि शेष मुल्जिम यदि शीघ्र ही गिरफ्तार न किए गए तो संत समाज सिस्टम में परिवर्तन के लिए अपनी अध्यात्म, एवम योग शक्ती से संतो की सुरक्षा हेतु वैदिक मार्ग का अनुसरण करते हुए समाधान हेतु मजबूर होगी,, इतना कह कर स्वामी जी मौन हो गए!


एक नजर यहां भी डालें

श्रीरामचरितमानस के उत्तरकांड में गोस्वामी तुलसीदासजी ने राम राज का बखान ऐसे किया 👇

रामराज बैठे त्रैलोका, हरषित भए गए सब सोका। बयरु न कर काहू सन कोई, राम प्रताप विषमता खोई। दैहिक दैविक भौतिक तापा, रामराज नहिं काहुहि ब्यापा। अल्प मृत्यु नहिं कवनिउ पीरा, सब सुंदर सब बिरुज सरीरा। नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना, नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना। सब गुनग्य पंडित सब ग्यानी, सब कृतज्ञ नहिं कपट सयानी।

अर्थात श्री राम के सिंहासन पर आसीन होते ही सर्वत्र हर्ष व्याप्त हो गया, सारे भय-शोक दूर हो गए एवं प्रजा को दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्ति मिल गई। इसका प्रमुख कारण यह है कि रामराज में किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं था। इसीलिए कोई भी अल्प मृत्यु, रोग-पीड़ा से ग्रस्त नहीं था। सभी स्वस्थ, बुद्धिमान, साक्षर, गुणज्ञ, ज्ञानी तथा कृतज्ञ थे। हर जाति वर्ग का व्यक्ति और जीव एक घाट पर पानी पीते थे।


रामचरित मानस में रावण के शासन में अत्याचार का वर्णन 👇


देखत भीमरूप सब पापी। निसिचर निकर देव परितापी॥
करहिं उपद्रव असुर निकाया। नाना रूप धरहिं करि माया॥2॥
भावार्थ:-सब राक्षसों के समूह देखने में बड़े भयानक, पापी और देवताओं को दुःख देने वाले थे। वे असुरों के समूह उपद्रव करते थे और माया से अनेकों प्रकार के रूप धरते थे॥2॥
* जेहि बिधि होइ धर्म निर्मूला। सो सब करहिं बेद प्रतिकूला॥
जेहिं जेहिं देस धेनु द्विज पावहिं। नगर गाउँ पुर आगि लगावहिं॥3॥
भावार्थ:-जिस प्रकार धर्म की जड़ कटे, वे वही सब वेदविरुद्ध काम करते थे। जिस-जिस स्थान में वे गो और ब्राह्मणों को पाते थे, उसी नगर, गाँव और पुरवे में आग लगा देते थे॥3॥
* सुभ आचरन कतहुँ नहिं होई। देव बिप्र गुरु मान न कोई॥
नहिं हरिभगति जग्य तप ग्याना। सपनेहु सुनिअ न बेद पुराना॥4॥
भावार्थ:-(उनके डर से) कहीं भी शुभ आचरण (ब्राह्मण भोजन, यज्ञ, श्राद्ध आदि) नहीं होते थे। देवता, ब्राह्मण और गुरु को कोई नहीं मानता था। न हरिभक्ति थी, न यज्ञ, तप और ज्ञान था। वेद और पुराण तो स्वप्न में भी सुनने को नहीं मिलते थे॥4॥
छन्द :
* जप जोग बिरागा तप मख भागा श्रवन सुनइ दससीसा।
आपुनु उठि धावइ रहै न पावइ धरि सब घालइ खीसा॥
अस भ्रष्ट अचारा भा संसारा धर्म सुनिअ नहिं काना।
तेहि बहुबिधि त्रासइ देस निकासइ जो कह बेद पुराना॥
भावार्थ:-जप, योग, वैराग्य, तप तथा यज्ञ में (देवताओं के) भाग पाने की बात रावण कहीं कानों से सुन पाता, तो (उसी समय) स्वयं उठ दौड़ता। कुछ भी रहने नहीं पाता, वह सबको पकड़कर विध्वंस कर डालता था। संसार में ऐसा भ्रष्ट आचरण फैल गया कि धर्म तो कानों में सुनने में नहीं आता था, जो कोई वेद और पुराण कहता, उसको बहुत तरह से त्रास देता और देश से निकाल देता था।
सोरठा :
* बरनि न जाइ अनीति घोर निसाचर जो करहिं।
हिंसा पर अति प्रीति तिन्ह के पापहि कवनि मिति॥183॥

स्वामी जी ने कहा कि वर्तमान में किस तरह का राज है आप स्वयं निर्णय लेकर कमेंट करें 

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