जीत के पीछे बड़े ही नहीं वल्कि छोटे लोगों का भी ध्यान रखते हैं प्रभु राम,, और आप,,,? हरिद्वार।

स.संपादक शिवाकांत पाठक। कंचन, कामिनी, और कीर्ति यह तीन बाते मनुष्य के विनाश का कारण बनती हैं,, क्यों कि जब प्रभु राम से अयोध्या लौटने के बाद उनकी माता कौशल्या ने पूछा कि इन कोमल हाथों से रावण को कैसे मारा राम,, राम जी ने मुस्करा कर कहा मैने नहीं रावण को तो मैं,, उसके अहंकार ने मारा है मां,, और राम पूछते हैं हनुमान से कि तुमने रावण की लंका कैसे जलाई,, तो हनुमान जी क्या जवाब देते गौर करिए, श्री राम चरित मानस में गो स्वामी तुलसी दास जी महराज लिखते हैं,,,,, सो सब तव प्रताप रघुराई। नाथ न कछू मोरि प्रभुताई॥ अर्थात ,,सब तो हे श्री रघुनाथजी! आप ही का प्रताप है। हे नाथ! इसमें मेरी प्रभुता (बड़ाई) कुछ भी नहीं है। प्रभु राम इस समर्पण भाव को देख हनुमान को सीने से लगा लेते हैं,, उनके सर पर अपना वरद हस्त रखते हैं, प्रभु कर पंकज कपि कर कीशा, देख सो दशा मगन गौरीसा,,, प्रभु का हांथ अपने सर पर देख पार्वती को कहानी सुनाते हुए शंकर भगवान एक क्षण के लिए मगन हो जाते हैं,,,, माता सीता का हरण होने के बाद, भगवान राम को लंका तक पहुंचने के लिए उनकी वानर सेना जंगल को लंका से जोड़ने के लिए ...