सुने री मैने निर्बल के बल राम,, S S P, और D M साहब बने बेसहारों का सहारा। हरिद्वार।
संपादक शिवाकांत पाठक।
गिरते हुए पारे के साथ बढ़ती हुई ठंड से ठिठुरते बेसहारा गरीबों के लिए महलों और कोठियों में रहने वाले कब सोचते हैं कि उन गरीब बेसहारा लोगों पर इस भीषण ठंड में क्या गुजरती होगी,, लेकिन धार्मिक ग्रंथों में वर्णित है कि निर्बल के बल राम,, राम अखिल विष्व का संचालन करने वाली एक अद्भुत शक्ति का नाम है,, जिनके एक इसारे पर ब्रम्हांड दहलता है वे राम प्रत्येक प्राणी पर नजर रखते हैं,,
तभी तो गौर करें कि जिले की सुरक्षा की कमान संभालने वाले कप्तान साहब और जिले की संपूर्ण व्यवस्था को दुरुस्त करने वाले जिलाधिकारी के मस्तिस्क में अचानक प्रभू राम की प्रेरणा से विचार आता है कि धरम नगरी में बेसहारा गरीबों पर इस ठिठुरन भरी सर्दी में क्या गुजरती होगी,, और वे इस भीषण ठंड की परवाह किए बिना ही रात्रि में निकल पड़ते हैं मानव सेवा भावना को अपने हृदय में संजोए हुए गरीबों के सामने उपस्थित हो जाते हैं उन्हें सर्दी से बचाव हेतु कंबल अपने हाथों से उढ़ाते हैं,, यह है हमारी भारतीय संस्कृति और सभ्यता के साथ ही वे संस्कार जिनके लिए विष्व नतमस्तक हो जाता है,,
अब सवाल यह है कि इतने बड़े अधिकारी होने पर भी भीषण ठंड में कैसे निकल पड़े तो सत्य यही है बिना प्रभु की प्रेरणा के कोई पत्ता भी हिलने की शक्ति नहीं रखता,, राम जब जैसा चाहते हैं मनुष्य वैसा ही करता है लेकिन शुभ और पुण्य कार्य के लिए प्रभू राम केवल अपने भक्तो को ही प्रेरित करते हैं,, हनुमान जी की पूछ में जब लंका के दानवों ने आग लगाईं तो लंका जलाने की प्रेरणा हनुमान जी को प्रभू राम की कृपा से प्राप्त होती है,, दूसरी ओर धार्मिक ग्रंथ श्री राम चरित मानस में भगवान शिव जी पार्वती जी को राम की कथा सुनाते हुए कहते है कि नारद का मुंह प्रभू राम जी ने बंदर का बना दिया तो क्रोधित होकर नारद जी भगवान विष्णु यानी राम को श्राप देते हैं,, कि एक दिन तुमको भी स्त्री वियोग में वन वन भटकना पड़ेगा, माता पार्वती को बेहद आश्चर्य हुआ क्यो कि नारद जी उनके गुरू थे और वे भगवान शिव से कहती हैं,,,चौपाई
कारन कवन श्राप मुनि दीन्हा। का अपराध रमापति कीन्हा॥
यह प्रसंग मोहि कहहु पुरारी। मुनि मन मोह आचरज भारी॥
भावार्थ-
मुनि ने भगवान को शाप किस कारण से दिया। लक्ष्मीपति भगवान ने उनका क्या अपराध किया था? हे पुरारि (शंकर)! यह कथा मुझसे कहिए। मुनि नारद के मन में मोह होना बड़े आश्चर्य की बात है।
बोले बिहसि महेस तब ग्यानी मूढ़ न कोइ। जेहि जस रघुपति करहिं जब सो तस तेहि छन होइ॥
भावार्थ- तब महादेव ने हँसकर कहा - न कोई ज्ञानी है न मूर्ख। रघुनाथ जब जिसको जैसा करते हैं, वह उसी क्षण वैसा ही हो जाता है॥
कोहरे और सर्द हवाओं से बेहाल लोगों के बीच पहुंचे डी एम धीराज सिंह गर्ब्याल व एस एस पी प्रमेन्द्र डोबाल बेसहारा लोगों को कंबल वितरित करने के साथ ही उन्हें गर्म गर्म चाय भी दी यह पावन पुण्य मयी कार्य धरम नगरी हरिद्वार के लिए गौरव पूर्ण रहा,,
गर्म कंबल बांटकर दिया सर्द मौसम से लड़ने का हौसला, प्यालों में दी गर्मागर्म चाय,,ठिठुरन भरी ठंड में जिलाधिकारी और एस एस पी को अपने बीच पाकर रैनबसेरों में आशियाना तलाश रहे आमजन हुए गदगद उनकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं रहा,नगर निगम को दिए गए सूखी लकड़ियों और अलाव के प्रबंधन करने के निर्देश,,।
जिले की कमान संभालने के साथ साथ असहाय, वृद्ध, गरीबों की सेवा में समर्पित दोनो अधिकारियों की सेवा को वी एस इंडिया न्यूज चैनल परिवार की ओर से शत शत नमन 🙏🙏🙏🙏🙏
समाचारों एवम विज्ञापनों हेतु सम्पर्क करें व्हाट्स नंबर 📲 9897145867
Comments
Post a Comment