राम भक्त का अपराध भूलकर भी न करें वरना,,, प्रभु श्री राम के क्रोध से बच नहीं सकोगे,।



संपादक शिवाकांत पाठक।

 


गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज कहते हैं कि यदि कोई राम जी का अपराधी हो तो राम जी उसे क्षमा कर देते हैं क्यों कि वे करुणा निधान हैं। लेकिन यदि कोई भक्त का अपराध करता है तो उसे इसका दंड किसी न किसी रूप में अवश्य भुगतना पड़ता है-


पढ़िए बाबा गो स्वामी तुलसी दास जी महराज लिखते हैं,,,,


जो अपराध भगत का करई। राम रोष पावक सो जरई।

यह बात मां सरस्वती ने देवताओं से कही है,, जब भरत लाल जी प्रभु राम से मिलने वन को जा रहे थे तो देवताओं ने सोचा कि कहीं भरत जी के स्नेह वश प्रभु राम अयोध्या जानें के लिए तैयार न हो जाए,, यदि ऐसा हुआ तो फिर रावण वध नहीं हो सकता,, और रावण के अत्याचारों से हम सभी को कोइ भी नहीं बचा सकता इस स्वार्थ की भावना वश देवता मां सरस्वती के पास पुन : जाकर उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे भरत की मति बदल दें,,


मां सरस्वती ने कहा कि राम जी का जब राज तिलक होना था तब तुम लोगों के कहने पर मैंने मंथरा की मति बदल दी थी क्यों उस घटना में प्रभू राम की भी इक्षा थी,, और अब तुम लोग भरत लाल जी के लिए कह रहे हो,, ऐसा असंभव है क्यों कि तुम भगवान प्रभु राम के क्रोध को नहीं जानते,, भरत उन्हे प्राणों से ज्यादा प्रिय हैं,,,



मित्रों, शास्त्रों में पावक किसे कहते हैं? पावक कहते हैं भगवान के क्रोध को “राम रोष पावक सौं जोरहीं” भक्त के अपमान के समय भगवान् को जो रोष क्रोध आता है उसको पावक ( अग्नि) कहते हैं, भगवान् सब कुछ सहन कर सकते हैं लेकिन अपने भक्त का अपमान सहन नहीं करते, रामजी तो कहते हैं कि मैं तो संतो का दास हूँ,,,।


और यह भी स्पष्ट है कि राम जी को तो कुछ भी करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी उन्हे क्रोध में देखते ही वीर हनुमान जी ही प्रभु राम के भक्तो का अपमान या उनपर अत्याचार करने वालों का काम तमाम पलक झपकते ही कर देते हैं,, इस बात का एक नहीं बल्कि अनेकों उदाहरण हैं,,


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