डिवाइड एंड रूल नहीं टांग खींच योजना चला रहे हैं पत्रकार। व्यंग लेख।
स.संपादक शिवाकांत पाठक।
खुशी राम,,,, आज सुबह सुबह ही कहा बड़ी तेज़ी से जा रहा है भाई दुखी राम,,,?
दुखी राम,,,, मैं समाचार कवरेज करने जा रहा हूं बड़ा चैनल है इसमें लाइव देनी पड़ती है भाई,,
खुशी राम,,, तुझे भी कुछ मिलता होगा,,,?
दुखी राम,, जो मिलता है वह चैनल को भेजना पड़ता है भाई,,
खुशी राम,, आज कल क्या चल रहा है तेरे यहां पर,,, चुनाव भी पास में आ रहे हैं,,?
दुखी राम,,, हमारे यहां तो टांग खींच योजना चल रही है पत्रकारों में बाकी तो सभी चोर चोर मौसेरे भाई हैं,,
खुशी राम,, मतलब,,,?
दुखी राम,,, मतलब साफ है,, भारत में लागू संविधान में चार सबसे महत्व पूर्ण स्तम्भ हैं
न्याय पालिका
कार्य पालिका
विधायनी
पत्रकरिता
इन चारो में तीन स्तम्भ पूरी तरह से स्वतंत्र हैं,, ये पेंशन, सैलरी के साथ साथ चुनाव मैदान में भी कूदने की आजादी रखते हैं,, और कुंद भी चुके हैं,, लेकिन पत्रकार आज भी अकेला नजर आ रहा है,, क्यों कि वह एक दूसरे की टांग खींच योजना में अपना महत्व पूर्ण योगदान दे रहा है,,
खुशी राम,, यह आज क्या बक रहा है तू,,, होस में तो है या फिर पी रखी है,,,
दुखी राम,,, होश में हूं भाई,, और पी तो सबने ही रखी है,, किसी को पैसे का तो किसी को पद का, नशा सवार है,, और ऊपर से माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार द्वारा नशा मुक्त उत्तराखंड का अभियान चलाया जा रहा है,, साला दिमाग का दही बना पड़ा है,,
खुशी राम,, ऐसा क्या हुआ है सच बता,, कांव कांव,,,
दुखी राम,, तो सुन,, सबकी निगाहें पत्रकार पर हैं,, कोइ भी बात हो ,, बुलाओ प्रेस कॉन्फ्रेंस,, आप बड़ा अच्छा लिखते हैं भाई मजा आ गया,,, बस,,
पत्रकार आज भी वहीं पर है जहां पर आजादी से पहले था,, और सभी लोग मजे ले रहे हैं,,
पत्रकारिता के अलावा सारे स्तम्भ सत्ता की चटनी का आनंद ले रहे हैं,,
खुशी राम,, तो पत्रकार क्यों नहीं ले पा रहे आनंद,,
दुखी राम,, उन्हे टांग खींच योजना का कार्यभार सौंपा गया है,,
अंग्रेजों ने भारत पर राज करने हेतु फूट डालो राज्य करो की नीति अपनाई,, क्यों वे बुद्धिमान थे,, और शासन हमेशा बुद्धिमान लोग ही मूर्खो पर कर सकते हैं,, अब यहां पर
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा भी राजनीति में आने से पहले बॉम्बे हाई कोर्ट में जज थे। उन्होंने 15 फरवरी 1995 को जज पद से इस्तीफा देकर राजनीति में पदार्पण किया था, बाद में वे चुनाव लड़े। वो लोकसभा के सांसद भी रह चुके हैं।
जस्टिस के सदानंद हेगड़े (जस्टिस संतोष हेगड़े के पिता) ने अपने जूनियर जज को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बनाने से नाराज होकर 30 अप्रैल 1973 को सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा दे दिया था। बाद में उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर 1977 का लोकसभा चुनाव बेंगलोर दक्षिण संसदीय सीट से लड़ा था और जीतकर लोकसभा सांसद बने थे। कुछ महीने बाद ही वो लोक सभा के स्पीकर बनाए गए थे।
आईएएस की नौकरी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओम प्रकाश चौधरी छत्तीसगढ़ की खरसिया सीट से हार गए थे बीजेपी उम्मीदवार ओपी चौधरी कांग्रेस उम्मीदवार उमेश पटेल से 16 हजार 967 मतों से हार गए थे. उमेश पटेल को 94201 वोट तो वहीं, ओपी चौधरी को 77234 मत मिले थे बता दें कि रायपुर के पूर्व कलेक्टर ओमप्रकाश चौधरी ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह की मौजूदगी में 'कमल' का दामन थामा था. बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने वाले 2005 बैच के इस आईएएस अधिकारी ने 25 अगस्त को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.
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