भारत का बच्चा बच्चा जय श्री पुकारेगा,, जानते हैं क्यों,,?

 



स.संपादक शिवाकांत पाठक।




रावण के अन्याय अत्याचार से पीड़ित होकर जब प्रथ्वी पिता मह ब्रम्हा के पास पहुंची और अपनी वेदना को सुनाते हुए फफक कर रो पड़ी तब पितामह ब्रम्हा  शंकर भगवान के पास पहुंचे और सारी व्यथा बताई,, तब देवो के देव महादेव भगवान शिव ने कहा कि इस समस्या के समाधान श्री हरि ही कर  सकते हैं,, सभी ने पूछा कि वे कहां मिलेंगे तो महादेव जी बोले ,, गौर करें,,


गो स्वामी तुलसी दास जी महराज लिखते हैं,,,

हरि ब्यापक सर्बत्र समाना। प्रेम तें प्रगट होहिं मैं जाना॥

देस काल दिसि बिदिसिहु माहीं। कहहु सो कहाँ जहाँ प्रभु नाहीं॥



अर्थात,,,शिव कहते हैं कि मैं तो यह जानता हूँ कि भगवान सब जगह समान रूप से व्यापक हैं, प्रेम से वे प्रकट हो जाते हैं, देश, काल, दिशा, विदिशा में बताओ, ऐसी जगह कहाँ है, जहाँ प्रभु न हों।


यहां पर एक बात गौर करने वाली है कि शिव कहते हैं कि प्रेम ते प्रकट होहि मैं जाना,, अर्थात उन्होने कहा कि मैं यह जानता हूं,,, मतलब वे इस बात का वे अनुभव कर चुके थे,, की सर्व शक्ति मान प्रभु राम केवल प्रेम चाहते हैं,,


दूसरी ओर भगवान राम स्वयं तुलसी दास जी कृति रामायण में कहते हैं कि,,,

निर्मल जल मन सो मोहि पावा मोहि कपट छल छिद्र न भावा,,,


यह बात भगवान प्रभु राम स्वयं कह रहे हैं कि उन्हें छल कपट पसंद नहीं है,, उनको तो एक दम साफ़ आईने की तरह मन और भावना पसंद है,,


इसके उदाहरण भी शास्त्रों पुराणों में मिलते हैं,, गिद्ध राज जटायू को राम ने हृदय से लगा लिया,, सबरी के झूठे बेर खा लिए क्यों कि इन सभी में वास्तविक प्रेम था ,, जिसे सिर्फ़ ईश्वर ही देख सकता है,,


क्यों कि ईश्वर भाव ग्राही ( भावना को जानने वाले ) है,, और इंसान शब्द ग्राही  ( शब्दो को जानने वाले ) होते हैं,, 






श्रीरामचरित मानस लिखने के दौरान तुलसीदासजी ने लिखा.. 

सिय राम मय सब जग जानी; करहु प्रणाम जोरी जुग पानी!



अर्थात 'सब में राम हैं और हमें उनको हाथ जोड़कर प्रणाम करना चाहिए।

यह लिखने के उपरांत तुलसीदासजी जब अपने गांव की तरफ जा रहे थे तो किसी बच्चे ने आवाज दी- 'महात्माजी, उधर से मत जाओ। बैल गुस्से में है और आपने लाल वस्त्र भी पहन रखा है।'

तुलसीदासजी ने विचार किया कि हूं, कल का बच्चा हमें उपदेश दे रहा है। अभी तो लिखा था कि सब में राम हैं। मैं उस बैल को प्रणाम करूंगा और चला जाऊंगा।

पर जैसे ही वे आगे बढ़े, बैल ने उन्हें मारा और वे गिर पड़े। किसी तरह से वे वापस वहां जा पहुंचे, जहां श्रीरामचरित मानस लिख रहे थे। सीधे चौपाई पकड़ी और जैसे ही उसे फाड़ने जा रहे थे कि श्री हनुमानजी ने प्रकट होकर कहा- तुलसीदासजी, ये क्या कर रहे हो.....?

तुलसीदासजी ने क्रोधपूर्वक कहा, यह चौपाई गलत है और उन्होंने सारा वृत्तांत कह सुनाया। 

हनुमानजी ने मुस्कराकर कहा- चौपाई तो एकदम सही है। आपने बैल में तो भगवान को देखा, पर बच्चे में क्यों नहीं? आखिर उसमें भी तो भगवान थे। वे तो आपको रोक रहे थे, पर आप ही नहीं माने थे...।


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